मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सोमवार को बयान दिया है कि चीन विदेश में पढ़ रहे अपने छात्रों को उनकी राजनीतिक सक्रियता के लिए निशाना बना रहा है। कुछ विद्यार्थियों ने घर पर परिवार के सदस्यों के उत्पीड़न की शिकायत की है। चीन राजनीतिक असहमति को बर्दाश्त नहीं करता है और घरेलू प्रदर्शनकारियों और कार्यकर्ताओं पर नकेल कसने के लिए उसने अत्याधुनिक तकनीकी उपकरणों के साथ-साथ डराने-धमकाने का भी इस्तेमाल किया है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने आठ यूरोपीय और उत्तरी अमरीकी देशों के दर्जनों छात्रों के साक्षात्कार का हवाला देते हुए एक रिपोर्ट में यह दावा किया कि राजनीतिक सक्रियता पर चीन के प्रतिबंध ‘अंतर्राष्ट्रीय दमन’ के रूप में विदेशों में तेजी से बढ़ रहे हैं।
परिवार से बात करना हुआ मुश्किलएमनेस्टी के अनुसार विदेशों में पढ़ रहे चीन के छात्रों ने बताया कि 1989 के तियानमेन स्क्वायर नरसंहार व दमन के स्मरणोत्सव जैसे विदेश में हुए कार्यक्रमों में उनके शामिल होने के बाद से चीन में उनके परिवार के लोगों का उत्पीड़न हो रहा है। चीन में परिवार के सदस्यों को दी जाने वाली धमकियों में उनके पासपोर्ट रद्द करना, उन्हें नौकरी से निकाल देना, उन्हें पदोन्नति और सेवानिवृत्ति लाभ प्राप्त करने से रोकना और उनकी आवाजाही को सीमित करना तक शामिल है। विद्यार्थियों ने यह भी कहा कि उन्हें चाइनीज़ सोशल ऐप्स पर पोस्ट करने से रोक दिया गया है, जो चीन की इंटरनेट सेंसरशिप के कारण परिवार के सदस्यों के साथ संवाद करने का उनके पास एकमात्र तरीका है।
अवसाद का शिकार हो रहे छात्रकई छात्रों ने बताया कि वो चीन की निगरानी के कारण अवसाद (डिप्रेशन) का शिकार हो रहे हैं। कक्षाओं और सामाजिक संपर्कों के दौरान उन्हें बहुत सचेत रहना होता है कि उनकी कोई बात चीन को बुरी नहीं लग जाए और इस वजह से वो तनाव और कई तरह की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से घिर गए हैं।
चीन ने नहीं दी प्रतिक्रियाचीन ने सोमवार की रिपोर्ट पर अब तक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि चीन इस तरह की आलोचनाओं को पहले खारिज करता रहा है कि वो विदेशों में रहने वाले अपने नागरिकों को टारगेट करता है।
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