क्या है कैप्टागन?
दरअसल, कैप्टागन मनोविकारों के इलाज में प्रयुक्त होने वाली एक सिंथेटिक दवा है, जिसे सबसे पहले जर्मनी में बनाया गया था। बाद में मध्य-पूर्व के देशों में इसका इस्तेमाल ड्रग्स के रूप में किया जाने लगा।
ड्रग्स के रूप में क्यों इस्तेमाल होने लगी
कैप्टागन के सेवन से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। थकान और नींद महसूस नहीं होती। भूख भी नहीं लगती। इन्हीं खासियतों के चलते ये दवा ड्रग्स के रूप में काम आने लगी।
2015 में दुनिया का ध्यान खींचा
80 के दशक में सीरिया वॉर में विद्रोही लड़ाकों ने इसे ड्रग्स के रूप में इस्तेमाल किया। 2015 में आइएसआइएस के आतंकियों ने इसका खूब इस्तेमाल किया। इसके बाद यह दवा चर्चा में आई। अब इजरायल पर हमास के क्रूर हमले में सामने आया कि आतंकियों ने इसी कैप्टागन का सेवन किया था।
प्रतिबंध के बावजूद अवैध उत्पादन
इसके बाद अमरीका सहित कई देशों ने इसे नशीली दवा मानते हुए इस पर प्रतिबंध लगा दिया। 1980 में इस दवा का निर्माण बंद हो गया, हालांकि सीरिया जैसे देश अवैध रूप से इसका उत्पादन कर रहे हैं।
इन देशों में होती है ज्यादा तस्करी
इस ड्रग का प्रयोग सबसे ज्यादा मध्य-पूर्व के देशों में होता है। सऊदी अरब, जॉर्डन, यूएई, कुवैत, इराक, लेबनान, मिस्र, सीरिया के अलावा यूरोपीय देश ग्रीस और इटली में इसकी तस्करी होती है।
कितना बड़ा कारोबार
रिपोर्ट के मुताबिक, अकेले सीरिया ने 2020 में 3.5 अरब डॉलर की कैप्टागन का निर्यात किया। जानकार बताते हैं यह निर्यात इससे पांच गुना ज्यादा है। मसलन, सऊदी अरब में ही कैप्टागन की सालाना खपत 600 मिलियन गोलियों की है जिससे हर वर्ष मुख्य निर्यातक सीरिया को 9 से 12 अरब डॉलर की कमाई होती है।