‘टैक्स देने के बाद भी पील पुलिस क्यों डाल रही है दबाव?’
रिपोर्ट के अनुसार, कनाडा के हिन्दू समूहों ने कहा है कि यह पुलिस द्वारा हफ्ता मांगने जैसा है। हिंदू समूहों के संगठन ‘कोएलिएशन ऑफ हिंदू ऑफ नार्थ अमरीका’ ने सोशल मीडिया पर इस संबंध में एक वक्तव्य जारी करते हुए सवाल उठाया है कि आखिर, यह भेदभाव क्यों। हम भी टैक्स दे रहे हैं फिर पील पुलिस हमारे मुद्दों को सुलझाने के बजाए हमारे ऊपर यह दबाव क्यों डाल रही है।अल्पसंख्यकों की रक्षा के नाम पर पुलिस कर रही वसूली
रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों का कहना है कि ऐसा काफी समय से चल रहा है। प्रशासन पर खालिस्तानी समूहों की तरफ से हिन्दुओं के कार्यक्रम रद्द कराने का दबाव है। संगठन ने कहा, ‘दुनिया में यह पहली बार है जब स्थानीय पुलिस अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए धन की मांग कर रही है।’ट्रूडो को चाहिए जगमीत सिंह का समर्थन
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर माह में जगमीत सिंह द्वारा सपोर्ट वापस लिए जाने के बाद से ट्रूडो सरकार अल्पमत में है। उसे आगामी फाइनेंस बिल पारित कराने को लेकर खालिस्तानी समूहों और पूर्व सहयोगी जगमीत सिंह की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के 25 सांसदों के समर्थन की जरूरत होगी। इस कारण ट्रूडो सरकार खालिस्तान समर्थक सिंह के दबाव में है।मंदिर में रविवार को होने वाल कार्यक्रम रद्द
कनाडा के ब्रैम्पटन त्रिवेणी मंदिर और सामुदायिक केंद्र ने संभावित हिंसक विरोधी प्रदर्शनों की चिंताओं का हवाला देते हुए 17 नवंबर को आयोजित होने वाले जीवन प्रमाण पत्र कार्यक्रम को रद्द कर दिया है। काउंसलर शिविर का यह आयोजन भारतीय मूल के हिंदुओं और सिखों को आवश्यक जीवन प्रमाण पत्र के नवीनीकरण में सहायता करने के लिए निर्धारित किया गया था। मंदिर प्रशासन ने बताया कि क्षेत्रीय पील पुलिस ने आगाह किया था इस दौरान हिंसक विरोध प्रदर्शनों का बहुत अधिक खतरा है।खालिस्तानी आतंकी देते हैं जगमीत की पार्टी को चंदा
कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो के पूर्व सहयोगी जगमीत सिंह की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी को खालिस्तानी चरमपंथियों से चंदा मिलता रहा है। इस बारे में दस्तावेजी सबूत सामने आए हैं। दस्तावेजों के अनुसार, मारे गए खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर ने 2014 से 2019 के बीच जगमीत सिंह की एनडीपी को दान दिया था। इसी तरह अन्य खालिस्तानी आतंकवादी मो धालीवाल ने भी 2017 से 2021 के बीच एनडीपी को चंदा दिया था।यह भी पढ़ें – भारत-कनाडा विवाद में किस देश का साथ देंगे डोनाल्ड ट्रंप? कैसे ये मामला सुलझाएगा अमेरिका