एक महत्वपूर्ण कदम
अबू धाबी के
क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान की भारत यात्रा के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात ने भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच संबंधों की गहराई को और भी स्पष्ट किया है। यह यात्रा और मुलाकात दोनों देशों के बीच के रिश्तों को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान की भारत यात्रा
शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान की यह यात्रा भारतीय-यूएई संबंधों में एक ऐतिहासिक क्षण के रूप में देखी जा रही है। उनके साथ एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल और व्यापारिक प्रतिनिधि भी भारत आए हैं। इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाना और विभिन्न क्षेत्रों में नई साझेदारियों की संभावनाओं की तलाश करना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात
शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने 9 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान, दोनों नेताओं ने भारत और यूएई के बीच रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने पर चर्चा की। उनकी बातचीत में व्यापार, निवेश, ऊर्जा, प्रौद्योगिकी, शिक्षा, और संस्कृति जैसे कई प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
रणनीतिक साझेदारी और गहरी
क्राउन प्रिंस के साथ यूएई सरकार के कई मंत्री और बिजनेस डेलिगेशन भी भारत आया है। भारत और यूएई के संबंध ऐतिहासिक रूप से काफी बढ़िया रहे हैं। हाल के सालों में भारत और यूएई के बीच में राजनैतिक व्यापार, निवेश कनेक्टिविटी, ऊर्जा प्रौद्योगिक शिक्षा और संस्कृति सहित कई क्षेत्रों में रणनीतिक साझेदारी पहले से और गहरी हुई है।’ अहम है क्राउन प्रिंस का भारत दौरा
क्राउन प्रिंस शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के दौरे से दोनों देशों के बीच में रिश्ते और मजबूत होने की संभावनाएं हैं। अबू धाबी के क्राउन प्रिंस का भारत दौरा एक ऐसे समय में हो रहा है, जब मध्यपूर्व में तनाव चरम पर है। इसलिए उनके इस दौरे की खास अहमियत है। क्राउन प्रिंस के तौर पर नाहयान का यह पहला भारत दौरा है। उनके इस दौरे की खास अहमियत है।
भारत और यूएई के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंध
हाल के वर्षों में देखें तो भारत और यूएई के बीच जो है संबंध हैं उसमें काफी निकटता आई है। इसी साल पीएम मोदी 13-14 फरवरी को यूएई के दौरे पर गए थे। साल 2015 से लेकर अब तक यूएई का यह उनका सातवां दौरा था और पिछले 1 साल में पीएम मोदी 3 बार यूएई जा चुके हैं। दोनों देशों के बीच साझेदारी के नए क्षेत्रों का रास्ता खुलने की उम्मीद जताई जा रही है। पीएम मोदी ने 2015 में यूएई की यात्रा की थी और उस समय दोनों देशों के संबंधों को राजनीतिक साझेदारी के स्तर पर ले जाया गया और 2017 में दोनों देशों के बीच कंप्रिहेंसिव स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप पर भी हस्ताक्षर हुए।
2017 का समझौता नींव का पत्थर साबित हुआ
इसके बाद से दोनों देशों के बीच निवेश, व्यापार, कनेक्टिविटी, तकनीकी ऊर्जा शिक्षा समेत कई क्षेत्रों में साझेदारी बढ़ी है। सन 2017 का समझौता नींव का पत्थर साबित हुआ है। यूएई के साथ द्विपक्षीय व्यापार में काफी इजाफा हुआ है। अगर 2022-23 की बात करें तो दोनों देशों के बीच 84.05 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार हुआ है। दोनों देशों के बीच लेनदेन में राष्ट्रीय मुद्रा यानी कि भारतीय रुपया और दिरहम पर भी बात आगे बढ़ चुकी है। भारत यूएई से तीसरा बड़ा ऊर्जा आयातक देश है और पिछले साल भारत ने यूएई से पहली बार भारतीय रुपए में कच्चा तेल खरीदा।