- जितना कम में काम चले चलाएं। जरूरत से ज्यादा चीजें इस्तेमाल करने की आदत अच्छी नहीं होती। जीवनयापन की लागत कम करने पर जोर दें।
- बाजार जा रहे हैं, तो दो मिनट रुकें और सोचें क्या और क्यों लेने जा रहे हैं? ऐसे में कई बार यही उत्तर मिलेगा कि जाने की जरूरत ही नहीं।
- घर को अनावश्यक चीजों से न भरें। उतना ही सामान रखें, जितनी की जरूरत हो।
- ट्रैश बैग भी जरूरी होता है। इसमें वह सामान डालें, जो वेस्ट हो। कुछ दिन बाद खंगालेंगे, तो लगेगा यह तो अभी और काम आ सकता है।
- जो चीजें रीसाइकिल हो सकें। उन्हें प्राथमिकता दें। पर्यावरण से आप लेते रहते हैं, उसे लौटाने के बारे में सोचें और उस दिशा में कदम उठाएं।
सस्टेनेबिलिटी को बढ़ावा दे रहीं पद्मश्री से सम्मानित इंदौर की डॉ. जनक पलटा मगिलिगन। उन्होंने सौर ऊर्जा से खाना बनाना शुरू किया और इस बारे में लोगों को जागरूक किया कि बिना आग के सूर्य की ऊर्जा से भोजन कैसे पकता है। 1998 में इंदौर ही नहीं बल्कि मध्यभारत का पहला सोलर किचन डॉ. जनक पलटा ने ही बनाया। पोर्टेबल सोलर कुकर कहीं भी ले जाया जा सकता है। इतना ही नहीं चूल्हे पर खाना पकाना हो, तो लकडिय़ों की जगह गोबर और अखबार की बनीं ब्रिक्स ईंधन के रूप में काम आ सकती हैं।
वे प्लास्टिक से कोसों दूर हैं। गाय के गोबर के कंडे की राख से बर्तन साफ कर उन्होंने यह दिखा दिया कि किस तरह हम कैमिकलमुक्त रह सकते हैं। उनका कहना है कि बार-बार बर्तन नहीं धोने चाहिए। एक गिलास में बार-बार पानी पी सकते हैं। पेपर नैपकिन की जगह रूमाल का इस्तेमाल करें। अरीठे से कपड़े धोए जा सकते हैं। गोमूत्र,ऐलोवेरा और लेमन ग्रास से फिनाइल वे खुद घर पर बनाती हैं।