• जिन महिलाओं को पीसीओएस की समस्या है, उन्हें ओमेगा-3 फैटी एसिड से युक्त चीजों को खाने की सलाह दी जाती है। इसके लिए वे महिलाएं अलसी के बीज, चिया के बीज, ट्यूना, सालमन फिश, मैकेरेल मछली, अखरोट तथा स्टर्गन, सार्डिन मछली, ऐवोकाडो, ऑलिव ऑयल आदि का सेवन कर सकती हैं।
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• फाइबर युक्त आहार आपके शरीर में इंसुलिन नियंत्रण में मदद करते हैं। इसलिए ऐसे कार्बोहाइड्रेट वाले भोजन का सेवन करना चाहिए जिसमें फाइबर की उच्च मात्रा हो। ऐसे में आप फलों में तरबूज, पपीता, स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी, संतरा, अनार, सेब आदि का सेवन कर सकते हैं। वहीं सब्जियों में पालक, टमाटर, बार्ली, फूलगोभी, शिमला मिर्च, कद्दू, ब्रोकली तथा अनाज में दलिया, बाजरा, ज्वार, रागी, ब्राउन राइस, ओट्स। साथ ही उड़द दाल, छोले, राजमा, सोया बीन्स, अरहर, मसूर दाल आदि का सेवन कर सकते हैं।
• पीसीओएस की समस्या में महिलाओं को एंटी-इन्फ्लेमेटरी फूड्स को अपने आहार में अवश्य शामिल करना चाहिए। क्योंकि इन्फ्लेमेशन यानी आंतरिक सूजन एवं जलन की समस्या भी पीसीओएस का हिस्सा है। इसके लिए आप अपने आहार में हल्दी, तेजपत्ता, रोजमेरी, काली मिर्च, अजवाइन, धनिया, सौंफ, अदरक, लौंग, थाइम, तथा ब्लैक और ग्रीन टी को भी शामिल कर सकती हैं।
• उच्च मात्रा में प्रोटीन से भरपूर डाइट एन्ड्रोजन और टेस्टोस्टेरॉन के स्तर को आपके शरीर में कम करने में मदद करती है। लेकिन आपको बता दें कि रेड मीट और ऐनिमल प्रोटीन में वसा की मात्रा अधिक होती है, जिससे इंसुलिन का स्तर बढ़ सकता है। इसलिए पीसीओएस से ग्रस्त महिलाएं ध्यान रखें कि अपने आहार में प्रोटीन इनटेक के लिए बिना चर्बी वाले प्रोटीन पर ही निर्भर रहें। वैसे पीसीओएस के लक्षणों को कम करने के लिए अपनी डाइट में आप अंडा, चिकन, टोफू, साल्मन मछली, सार्डिन कथा ट्यूना मछली, टर्की आदि को शामिल कर सकती हैं।