जैसे ही आॅक्सीजन गायब होगी, पृथ्वी का वातावरण बेहद ठंडा हो जाएगा। ओजोन की मात्रा जब आधी हो जाएगी तो उस दौरान जितने भी लोग समुद्र किनारे लेटे हुए होंगे, वे सभी पल झपकते ही सनबर्न से झुलस जाएंगे। आसमान का रंग नीला कम और काला ज्यादा लगेगा। चारों ओर अंधेरा सा छा जाएगा।
आॅक्सीजन के गायब होते ही जमीन धंस जाएगी और पृथ्वी पर मौजुद सारे जीव 10-15 किलोमीटर नीचे आ गिरेंगे। जैसा कि हम जानते हैं कि पानी में आक्सीजन की मात्रा 88.8% होती है। आॅक्सीजन की अनुपस्थिति में हाइड्रोजन गैसीय अवस्था में बदल जाएगी और साथ ही इसका वाॅल्यूम भी काफी हद तक बढ़ जाएगा।
ऐसे में सांस रूकने से पहले ही इंसान फूलकर फट जाएगा। पृथ्वी की गोद में उपस्थित हर जीवित कोशिका की मौत ऐसे ही होगी। कान के पर्दे फट जाएंगे।
ये पूरा नजारा किसी हॉलीवुड फिल्म जैसा भले ही लग रहा हो, लेकिन महज 5 सेकेंड आॅसीजन की अनुपस्थिति में पूरी की पूरी दुनिया तबाह हो जाएगी। इसलिए पेड़ लगाना किस हद तक जरूरी है इसकी हम कल्पना तक नहीं कर सकते हैं।
पेड़ लगाना संभव नहीं है तो यदि किसी को ऐसा करते या कहते देखें तो उसे तुरंत रोकें और सचेत करें। ऐसे ही यदि इंसान प्रकृति से छेड़खानी करता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब कयामत पास होगी।