अपराध की कई ऐसी कहानियां हैं, जो रहस्य बनकर रह गईं और सालों की जांच के बाद भी लोग उनकी हकीकत नहीं जान पाए। ऐसी ही कहानी है डी.बी. कूपर की। बता दें कि डीबी कूपर ने अकेले दम पर यात्रियों से भरा हवाई जहाज हाईजैक किया और फिर फिरौती में करोड़ों रुपए लेकर हवा में ही गायब हो गया! दुनिया की सबसे बेहतरीन माने जाने वाली जांच एजेंसी एफबीआई भी उसका पता नहीं लगा सकी।
यह घटना 1971 के समय हुई, उस समय किसी प्रोफेशनल शख्सियत की शक्ल में डीबी कूपर एयरपोर्ट पहुंचा था। वहां उसने काउंटर पर जाकर सीएटल जाने वाली फ्लाइट का टिकट लिया। वहां उसने अपना नाम डैन कूपर बताया, जो असल में उसका नाम था ही नहीं। हालांकि टिकट लेकर वो रहस्यमयी शख्स सीधे अपने फ्लाइट की ओर बढ़ा। उसके विमान का नाम बोइंग 727 था। उसे हवाई जहाज के सबसे पीछे वाली सीट मिली थी। वह सीधे जाकर अपनी सीट पर बैठ गया। बाकी यात्रियों की तरह उसने अपना बैग ऊपर ना रखकर अपने पास ही रखा।
विमान जैसे ही एयरपोर्ट से उड़ा, डीबी कूपर ने अपना काम शुरू कर दिया। कूपर ने फ्लाइट अटेंडेंट को एक कागज का टुकड़ा दिया। कहा जाता है कि तब फ्लाइट अटेंडेंट को लगा कि वह कोई बिजनेसमैन है और उसे अपना नंबर दे रहा है। फ्लाइट अटेंडेंट ने वह पर्ची बिना पढ़े ही अपनी जेब में डाल ली और उसने सोचा कोई तन्हा कारोबारी होगा जो अपना नंबर दे रहा होगा। थोड़ी देर बाद कूपर ने पूछा कि क्या आपने मेरी लिखी हुई बात पढ़ी! इस पर अटेंडेंट ने वह पर्ची निकाली और पढ़ते ही उसके चेहरे के भाव बदल गए। इसमें लिखा था कि ‘मेरे पास बम है’।
अटेंडेंट कुछ कह पाती इससे पहले ही कूपर ने उसे उसे सच्चाई दिखाने के लिए अपना बैग खोला तो उसमें सच में बम रखा हुआ था। इसके बाद कूपर ने अपनी मांग व शर्ते बताते हुए कहा कि विमान नजदीकी एयरपोर्ट पर उतारा जाए और फिर से ईंधन भरा जाए। इसके अलावा करीब दो लाख डॉलर और चार पैराशूट मांगे।
कूपर की मांग सुनकर फ्लाइट अटेंडेंट सीधे पायलट के पास पहुंची और उसे सारी बात बताई। इसके बाद पायलट ने तुरंत विमान हाइजैक और कूपर की मांगों के बारे में सिएटल के एयर ट्रैफिक कंट्रोल को सूचना दी। फिर क्या, हर तरफ अफरातफरी मच गई। पुलिस से लेकर एफबीआई तक को इसकी सूचना दी गई।
शाम 5.30 बजे के करीब प्लेन सिएटल पहुंचा तो कूपर को उसकी मांग के अनुसार, 2 लाख डॉलर के बिल और दो पैराशूट उपलब्ध करा दिए गए। इसके बाद सभी यात्रियों को प्लेन से उतारा गया। कूपर ने क्रू मेंबर्स को प्लेन को मेक्सिको सिटी की तरफ ले जाने को कहा। साथ ही उसने कहा कि प्लेन को 10 हजार फीट की ऊंचाई पर ही उड़ाया जाए।रात करीब 8 बजे के करीब कूपर ने सभी क्रू मेंबर्स को कॉकपिट में जाने को कहा। चूंकि उस वक्त प्लेन में कैमरे आदि नहीं होते थे तो क्रू मेंबर्स को नहीं पता था कि कूपर प्लेन में क्या कर रहा है।
साथ ही उसने यह भी हिदायत दी कि दरवाजा अंदर से बंद रखा जाए। इसके थोड़ी ही देर के बाद पायलट को विमान में हवा के दबाव में फर्क महसूस हुआ। जब को-पायलट ने बाहर जाकर देखा तो विमान का दरवाजा खुला हुआ था। उसने तुरंत जाकर दरवाजा बंद किया और कूपर को पूरे विमान के अंदर ढूंढा, लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला। वह हवा में ही विमान से नीचे कूद चुका था।
कई सालों तक अमेरिकन खुफिया एजेंसी पूरे देश की खाक छानती रही लेकिन डीबी कूपर और उसे दिए गए नोटों का कुछ पता नहीं चला। एफबीआई ने उसका स्केच बनवाया लेकिन आज तक पता नहीं चला कि असल में डीबी कूपर कौन था जो उड़ते प्लेन से ही गायब हो गया। विमान का पीछा कर रहे दो अमरीकी सेना के विमानों ने भी आसमान में कोई पैराशूट उड़ते हुए नहीं देखा।
कूपर के बारे में अलग-अलग तरह की अटकलें लगने लगी थीं। हर तरह से कूपर को ढूंढने की कोशिश की गई, लेकिन वह कहीं नहीं मिला। परिणाम यह हुआ कि यह मामला फाइल में बंद हो गया। कूपर के द्वारा किया गया वह हाईजैक अमेरिका जैसे देश के लिए बहुत ही शर्मनाक हादसा था। कूपर अपने पीछे कुछ कड़वी यादें और बहुत से अनकहे सवालों को छोड़ गया था।केस हल करने की बात तो अलग है, लोग यह नहीं जानते कि वह असल में कूपर ही था कि कोई और था? इतने सारे पैसों का उसने क्या किया होगा? कूपर कौन था शायद इसका पता तो अब कभी नहीं चलेगा, लेकिन जो भी था, अमेरिका उसे कभी नहीं भूल पायेगा।