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अजब गजब

एक या दो बार नहीं कई बार ‘मर चुकी’ है ये औरत! हर बार अदृश्य ताकत लेती थी बचा

एक नहीं बल्कि तीन बार मौत को चकमा दे चुकी है ये महिला
बचपन से ही शुरू हो गई थी मौत से लुका-छिपी
जहां जाती थी होती थी दुर्घटना

Mar 04, 2019 / 01:02 pm

Priya Singh

the woman who escaped the titanic britannic and olympic disasters

एक या दो बार नहीं कई बार ‘मर चुकी’ है ये औरत! हर बार अदृश्य ताकत लेती है बचा

नई दिल्ली। आज हम आपको उस औरत की कहानी बताएंगे जो हर बार मौत को मात देती रही। इतिहासकारों की मानें तो यह महिला धरती की सबसे खुशनसीब महिला थी। यह महिला बड़े ही रहस्यमई तरीके से एक नहीं बल्कि तीन बार मौत को चकमा देती आई है। महिला तीन बार समुद्री आपदा से बचती आई है जिसमें टाइटैनिक का हादसा भी शामिल है। 1887 में वायलेट जेसप (Violet Jessop) नाम की यह महिला अर्जेण्टीना में पैदा हुई थी। जब वह बच्ची थी तभी वह टीबी से ग्रसित हो गई थी। डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था कि उसके पास अब ज्यादा दिन नहीं है। लेकिन वायलेट ने इस बीमारी को हरा दिया। यह पहली बार था जब वायलेट ने मौत को मात दी थी। जब वह 16 साल की थी तब उसके पिता का देहांत हो गया और उसका पूरा परिवार ग्रेट ब्रिटेन में आकर बस गया। सन 1908 का वह समय था जब वायलेट की मां की तबियत खराब रहने लगी। इसके बाद वायलेट ने अपनी पढ़ाई छोड़कर नौकरी करनी शुरू की।

titanic

वायलेट ने अपनी मां को लेकर पानी के जहाज में नर्स का काम शुरू किया। अपने ग्रुप में वायलेट सबसे कम उम्र की थी वह सिर्फ 21 साल की थी और बाकी अधेड़ महिलाएं थीं। अपनी उम्र छिपाने के लिए वायलेट मेकअप नहीं लगाती थी और वेशभूषा को बेहद ही सादा रखती थी। दो बड़े जहाजों में नर्स का काम करने के दौरान उसे एक आलीशान शिप पर काम करने का मौका मिला। 17 घंटे की शिफ्ट में वायलेट को अच्छे खासे पैसे मिलते थे। सन 1911 में सितंबर के महीने में वायलेट को उस समय के सबसे मशहूर जहाज ओलंपिक में भी काम करने का मौका मिला। ओलंपिक उस समय का सबसे बड़ा जहाज हुआ करता था। अपनी यात्रा के दौरान जहाज ओलंपिक समुद्र में क्रैश हो गया।

titanic britannic and olympic disasters

जहाज में तीन बड़े छेद हो गए थे। इतने बड़े हादसे के बाद भी वायलेट वहां से बच निकली। हादसे के बाद में जब ओलंपिक की वापसी हुई फिर वायलेट ने काम पर जाना शुरू कर दिया। उसे लगा अब सब सही हो जाएगा लेकिन होनी को कुछ और मंजूर था। पानी में तैर रहा वह जहाज कोई और नहीं बल्कि टाइटैनिक था। जहाज में लगातार काम करने वाली वायलेट हमेशा अपने साथ हिब्रू में लिखी एक प्रार्थना की किताब रखा करती थी। उस किताब में पानी और आग के प्रकोप से बचने के मंत्र लिखे थे। सन 1912 में अप्रैल में सफर के चौथे दिन में टाइटैनिक दुर्घटना का शिकार हो गया। वायलेट ने उस दुर्घटना में भी अपना काम नहीं छोड़ा और लाइफबोट पर घायल लोगों की मदद करती रही। एक बच्चे को गोद में लिए 8 घंटे तक समंदर में भटकने के बाद आखिरकार वायलेट और बच्चे को बचा लिया गया।

टाइटैनिक के उस हादसे में लगभग 1500 लोगों की मौत हो गई लेकिन वायलेट ने हार नहीं मानी और फिर से नर्स का काम शुरू कर दिया। प्रथम विश्व युद्ध में वायलेट ने सैनिकों के लिए काम किया था। जिस जहाज पर वो तैनात थी वह जहाज फिर एक बार दुर्घटना का शिकार हो गया। लेकिन वायलेट फिर बच गईं। सन 1971 में 83 वर्षीय वायलेट की दिल के दौरे से मौत हो गई। लेकिन वायलेट के मरने के बाद भी यह रहस्य बना रहा कि आखिर हर दुर्घटना में वायलेट बच कैसे जाती थीं।

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