हमारे देश में आलू को कई तरीके से खाया जाता है और इससे बनें हर पकवान को खूब पसंद किया जाता है। आलू की सब्जी, पकौड़े, आलू दम, आलू चोखा, चाट इस तरह के कई व्यंजन भारत में मशहूर हैं। अब क्या आपने कभी आलू के बारे में यह सोचा है कि इसकी पैदावार यहां कैसे शुरू हुई? किन लोगों ने आलू को भारत में मशहूर किया?
सुनकर भले ही यह बात आपको अजीब लगें, लेकिन यह सच है कि आज से करीब 500 साल पहले आलू का कोई अस्तित्व ही नहीं था। यह भी बात सच है कि आलू का जन्मस्थल भारत नहीं है। इसका जन्म दक्षिण अमरीका की एंडीज पर्वत श्रृंखला में मौजूद टिटिकाका झील के पास हुआ था।यह झील समुद्र से करीब 3,800 मीटर की उंचाई पर स्थित है।
जहां तक रही भारत की बात तो यहां आलू मुगल बादशाह जहांगीर के शासनकाल में आया था और इसे देश में लाने का श्रेय यूरोपीय व्यापारियों को जाता है। 17 वीं शताब्दी में पुर्तगाली मसालों को आधार बनाकर भारत में व्यापार करने के लिए आए थे तब वे इसे अपने साथ यहां लेकर आए।
हालांकि आलू को यहां बढ़ावा देने का श्रेय वारेन हेस्टिंग्स को जाता है। हेस्टिंग्स 1772 से 1785 तक भारत के गवर्नर जनरल रहें।
18वीं शताब्दी तक आलू इंडिया में मशहूर हो चुका था। उस जमाने में आलू की तीन किस्में थीं। पहली किस्म का नाम फुलवा था, इसे मैदानी इलाकों में उगाया जाता था। दूसरे का नाम गोला था क्योंकि आकार में वह गोल होता था और तीसरे का नाम साठा था क्योंकि 60 दिन बाद वह उगता था।
जानकारी के लिए बता दें कि न केवल आलू बल्कि टमाटर, शलजम,गाजर,काजू ,साबूदाना ,अमरुद,लीची,मूंगफली,पपीता,कद्दू,शिमला मिर्च, शकरकंद को लाने का श्रेय भी पुर्तगालियो को ही जाता है। इसके साथ ही तम्बाकू भी पुर्तगालियों की ही देन है।
हालांकि भारत ने भी उन्हें बहुत कुछ दिया। पुर्तगाली अपने साथ यहां से लौंग,जायफल,सौंफ, केसर,अदरक,काली मिर्च लेकर गए।