इस किले को कलावंती के नाम से मशहूर है। इस किले में रात होते ही महौल बदल जाता है। बताया जाता है कि यहां से गिरने की वजह से कई लोग अपनी जान गवां चुके हैं। सूर्यास्त होने से पहले ही यहां सन्नाटा पसर जाता है। यहां चट्टानों को काटकर सीढ़ियां बनाई गई हैं, लेकिन इन सीढ़ियों पर ना तो रस्सियां है और ना ही कोई रेलिंग। बताया जाता है पैर फिसलने से यहां कई लोगों की मौत हो चुकी है।
स्थानीय लोगों के मुताबिक यह किला मनहूस हो चुका है। कई लोगों की जान जाने से ये जगह नकारात्मकता हो गई है। लोगों का मानाना है कि यहां भटकती आत्माएं लोगों को आत्महत्या करने पर मजबूर करती है। कई लोग जिंदगी से परेशान होकर यहां अपनी जीवनलीला खात्म करने के लिए हैं। इस किले को पहले मुरंजन किले के नाम से जाना जाता था, लेकिन छत्रपति शिवाजी महाराज के राज में इसका नाम बदल दिया गया। कलावंती दुर्ग के किले से चंदेरी, माथेरान, करनाल और इर्शल किले भी नजर आते हैं।