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दरअसल, हिमाचल प्रदेश में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। ऐसे में यहां के लोग बिच्छू बूटी नाम का पोस्टिक आहार व्यंजन बनाकर खाते हैं। पहाड़ी भाषा में इसे ‘क्खुवा’ नाम से भी जाना जाता है। ठंड के मौसम में ग्रामीण इलाकों के लोग बिच्छू बूटी का इस्तेमाल करते हैं बताया जाता है कि उसका भोजन करने से शरीर काफी गर्म रहता है। जिला सिरमौर के शिलाई क्षेत्र के सभी पंचायतों के गांव के लोग बिच्छू बूटी के पत्तों का भोजन बनाते हैं ताकि ठंड से बच सके। बिच्छू बूटी हिमाचल में होती है। इसके पत्ते कोमल होते हैं, लेकिन इसके कांटे वाले पत्तों को छूने पर काफी तेज दर्द या जलन होती है।
जलन होने के कारण इसका नाम बिच्छू बूटी रखा गया है। ये वहां ज्यादा होते हैं जहां पर बर्फ पड़ती है। ठंड के मौसम में सबसे ज्यादा गांव के लोग बिच्छू बूटी के पत्तों का भोजन बनाकर ग्रहण करते हैं ना तो इससे ठंड लगती है और ना ही बीमारियां होती है वहीं तेलु राम ने भी बताया कि अधिकतर लोग तो बिच्छू बूटी इसलिए भी ग्रहण करते हैं ताकि बीमारियों से राहत मिल सके ठंड के समय लोगों को कई बीमारियां पैदा हो जाती है जिनके लिए घर में स्पेशल बिच्छू बूटी के पत्तों का भोजन बनाया जाता है। बिच्छू बूटी इसलिए भी खाई जाती है ताकि सर्दी जुखाम से राहत मिल सके।