मेले में सीदी समुदाय के जो भी लोग आते हैं वो यहां तालाब में स्थित खूंखार मगरमच्छों को माला पहनाते हैं और तो और ये लोग मगरमच्छों को मिठाई और मटन भी खिलाते हैं और ऐसा करने में उन्हें तनिक भी डर नहीं लगता है।बता दें कि इस मेले में सीदी समुदाय के लोग एकत्रित होते हैं और मगरमच्छों को बकरे का मीट खिलाते हैं और इस विषय में यहां के लोगों का मानना है कि यदि मगरमच्छ उनके द्वारा दिए गए मीट को खा लेता है तो उनका साल अच्छा बीतता है।
हांलाकि पिछले कुछ सालों से इस मेले के आयोजन पर पाबंदी लगा दी गई थी लेकिन इस साल से फिर से इसे आयोजित करने की अनुमति मिल गई। यहां दरगाह के समीप स्थित तालाब में करीब सौ मगरमच्छ रहते हैं और इनका देखभाल खलीफा हसन करते हैं।
खलीफा का ऐसा करने के बारे में कहना है कि ये मगरमच्छ किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते है। अब ऐसा करने के पीछे का कारण क्या वाकई में अलौकिक शक्ति है या फिर कुछ और, इस बारे में तो ठोस रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता। लेकिन यहां आने वाले लोग इस बात पर विश्वास करते हैं और सालों से ऐसा ही करते आ रहे हैं।