अजब गजब

यहां मर्द बनते हैं घरजमाई, महिलाएं करती हैं कई शादियां और मिलता है ये हक

यहां लड़कियों के जन्म पर जश्न मनाया जाता है। यहां लड़कियां अपने मां बाप के साथ ही रहती हैं और उन्हें शादी के बाद लड़कियों के पति घर में घरजमाई बनकर रह सकते हैं।

Dec 03, 2018 / 05:54 pm

Priya Singh

यहां मर्द बनते हैं घरजमाई, महिलाएं करती हैं कई शादियां और मिलता है ये हक

नई दिल्ली। खासी एक जनजाति है जो भारत के मेघालय, असम तथा बांग्लादेश के कुछ क्षेत्रों में निवास करते हैं। इसे खासिया या खासा के नाम से भी जाना जाता है। इस जाती की खास बात यह है कि, इस जनजाति में लड़कियों को ऊंचा दर्जा दिया जाता है। यहां लड़कियों के जन्म पर जश्न मनाया जाता है। यहां लड़कियां अपने मां बाप के साथ ही रहती हैं और उन्हें शादी के बाद लड़कियों के पति घर में घरजमाई बनकर रह सकते हैं। लड़कियां ही घर की वारिस होती हैं और सारी धन दौलत उन्हीं के पास रह जाती है। इतना ही नहीं इस जनजाति की महिलाएं कई पुरुषों से शादी कर सकती हैं। लेकिन यहां के पुरुषों की मानें तो उनका कहना है कि, उन्हें अब इस प्रथा में कुछ बदलाव चाहिए। उनकला कहना है कि, वे यह मांग कर के महिलाओं को नीचे नहीं दिखाना चाहते लेकिन उन्हें भी अब बराबरी का हक़ चाहिए।

बता दें कि, इस जनजाति में परिवार के तमाम फैसले भी महिलाओं द्वारा लिए जाते हैं। इस जनजाति की एक और खास प्रथा है जिसमें सारी संपत्ति घर की बड़ी बेटी नहीं बल्कि छोटी बेटी को ही मिलती है। इसके पीछे का कारण यह है कि उसे ही आगे चलकर अपने माता-पिता की देखभाल करनी होती है। छोटी बेटी को खातडुह कहा जाता है। इस जनजाति में विवाह के लिए कोई विशेष रस्म नहीं है। लड़की और माता पिता की सहमति होने पर युवक ससुराल में आना जाना शुरू कर देता है और संतान होते ही वह स्थायी रूप से वही रहने लगता है। संबंधविच्छेद भी अक्सर सरलतापूर्वक होते रहते हैं। संतान पर पिता का कोई अधिकार नहीं होता। करीब 10 लाख लोगों का वंश महिलाओं के आधार पर चलता है। यहां तक कि किसी परिवार में कोई बेटी नहीं है, तो उसे एक बच्ची को गोद लेना पड़ता है, ताकि वह वारिस बन सके।

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