जानहुनेन के मुताबिक disc जैसे हजारों बेलनाकार अंतरिक्ष यान, जो अंदर फ्रेम से जुड़े होंगे, स्थायी रूप से सेरेस की परिक्रमा करेंगी। प्रत्येक बेलनाकार यान में 50 हजार लोगों को रखा जा सकता है। यह यान पूरी तरह कृत्रिम वातावरण पर निर्भर होगा, यहां तक कि खुद ही अपकेंद्री बल के माध्यम से पृथ्वी जैसा गुरुत्वाकर्षण उत्पन्न करेगा और खुद की रोटेशन तैयार करेगा। पहली बार ये विचार 1970 में पेश किया गया था, जिसे ओ, नील सिलेंडर कहा जाता है।
जानहुनेन के मुताबिक इसकी औसत दूरी मंगल जितनी है। इसके अलाव इस क्षुद्रग्रह जीवनदायी तत्व भी हैं। इसमें नाइट्रोजन की प्रचुरता है, जो घूमती हुई बस्ती के लिए वातावरण विकसित करने में महत्वपूर्ण होगा। इसका रेडियस पृथ्वी से 13 गुना कम है, जिससे पृथ्वीवासी यहां से कच्चा माल आसानी से स्थानांतरित कर सकते हैं।
-प्रत्येक बेलनाकार निवास 10 किलोमीटर लंबा होगा
-एक किलोमीटर का रैडियस (त्रिज्या) होगी
-66 सेकंड में एक रोटेशन पूरा करना होगा, पृथ्वी की तरह गुरुत्वाकर्षण बल पैदा करने के लिए
-57 हजार लोगों को रखने में सक्षम होगा मैगासैटेलाइट
-चुंबकीय उत्तोलन बनाए रखने के लिए विशाल मैगनेट रखने होंगे।
-प्रकाश के लिए मैगासैटेलाइट से दूर दो विशाल कांच के दर्पण होंगे, जो सूर्य की किरणों को प्रतिबिंबित करेगा।