मंदिर के प्रवेश द्वार पर स्थापित इस मूर्ति का मुंह खुला हुआ है। जिस भक्त को भगवान को नारियल का भोग लगाना है वह इस मूर्ति के मुंह में नारियल डाल देता है। फिर चढ़ाया हुआ नारियल प्रसाद के रूप में भगवान हनुमान के हाथ के रस्ते वापस आ जाता है। इसके बाद नारियल पानी व छिलके भीतर टैंक में इकठ्ठा हो जाते हैं। बता दें कि सारंगपुर में विराजने वाले कष्टभंजन हनुमान यहां महाराजाधिराज के नाम से राज करते हैं। वे सोने के सिंहासन पर विराजकर अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करते हैं। कहते हैं इस मंदिर में भक्तों की हर तकलीफ का इलाज होता है। चाहें वो बुरी नज़र का असर हो या शनि देव का प्रकोप।