केरल का कोदिन्ही गांव
सबसे पहले बात करते हैं केरल के उस गांव की जहां का रहस्य वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए। मल्लापुरम जिले में मौजूद कोदिन्ही गांव ऐसा है, जहां 200 से ज्यादा ट्विन्स हैं। यहां हर दूसरे घर में जुड़वा बच्चे होते हैं। कई बार तिड़वे बच्चे भी हुए। इस गांव को सरकार भी Village of Twins कहती है। इस गांव को लेकर एक बात अजीब है कि यहां की महिलाएं अगर किसी और गांव में शादी करके जाती हैं तो भी उनके जुड़वा बच्चे होते हैं।
राजस्थान का कुलधरा गांव
आपने कुलधरा गांव के बारे में सुना ही होगा। ये राजस्थान का काफी प्रसिद्ध गांव है जहां आपको इंसान नहीं बल्कि खाली घर और खंडहर ही मिलेंगे। कहते हैं कि 200 साल पहले ये गांव 1500 पालिवाल ब्राह्मणों का घर था। इस गांव के लोगों पर जैसलमेर का दीवान सलीम सिंह अत्याचार करता था। वो मनचाहा कर वसूल करता था। इसके बाद सलीम सिंह की नजर गांव के मुखिया की बेटी पर पड़ी। सलीम सिंह ने गांव वालों पर बहुत ज्यादा कर लगाने की धमकी दी। लड़की को बचाने और सलीम सिंह के डर से बाहर निकलने के लिए रातों-रात पूरा गांव खाली हो गया। हालांकि, किसी ने भी गांव के 1500 लोगों को जाते नहीं देखा। कहा जाता है कि इस गांव को वो लोग श्राप देकर गए थे कि यहां अब कोई नहीं बस पाएगा।
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असम का जतिंगा गांव
असम का जतिंगा गांव भी अपने अजीबोगरीब रहस्य के लिए मशहूर है। इस हरे भरे इलाके में हर साल मानसून के आखिरी में एक अजीब घटना होने लगती है। यहां सूरज ढलने के बाद हजारों की संख्या में पक्षी एक एक कर मरने लगते हैं। ऐसा क्यों आज तक कोई नहीं जान सका। ये हर दिन होता है। स्थानीय निवासियों के अनुसार यहां पर बुरी आत्माओं का साया है। जबकि वैज्ञानिकों का मानना है कि शायद पक्षी कोहरे की वजह से ठीक से देख और महसूस नहीं कर पाते और इसलिए वो पेड़ों से टकरा कर मर जाते हैं।
मानव कंकाल वाला तालाब
रूपकुंड तालाब में अजीब रहस्य समाया हुआ है। हर साल सर्दियों के बाद जैसे ही बर्फ पिघलती है वैसे ही इस तालाब में मानव कंकाल तैरने लगते हैं। 16,500 फिट की ऊंचाई पर मौजूद इस तालाब को 1942 में ढूंढा गया था। तब से लेकर अब तक ये गांव एक रहस्य बना हुआ है। रूपकुंड तालाब में कई फॉरेंसिक और रेडियोकार्बन टेस्ट किए गए जिसके बाद वैज्ञानिकों को मानना है कि यहां मौजूद कंकाल कम से कम 1200 साल पुराने हैं। कोई नहीं जानता ये कहां से आए। हालांकि लोककथा है कि ये कन्नौज के राजा जसधवल और उनकी प्रेग्नेंट रानी और उनके सभी नौकरों का काफिला है जो नंदा देवी के दर्शन को निकले थे, लेकिन रास्ते में तूफान की चपेट में आ गए।
डूबने वाला चर्च शेट्टीहाली
1860 में फ्रेंच मिशनरी द्वारा बनाया गया रोज़री चर्च उस दौर की सभी कम्युनिटी एक्टिविटी का हिस्सा रहा करता था। ये सिर्फ चर्च ही नहीं एक अनाथालय और अस्पताल का काम भी करता था। हालांकि, 100 साल बाद भारत सरकार ने गोरुर डैम बनाया और इस पूरे इलाके को पानी ने अपनी चपेट में ले लिया। अधिकतर इमारतें गिर गईं और मलबा बन गईं, लेकिन इतने सालों में भी हर साल ये चर्च गर्मियों में पानी कम होने पर दिखता है और उसके बाद दोबारा पानी में लीन हो जाता है। अभी तक ये चर्च एक बेंगलुरु के पास फेमस टूरिस्ट स्पॉट बना हुआ है और कई लोगों का आस्था का केंद्र भी बन चुका है।
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