scriptसगे मां-बाप ने छोड़ा तो इस दम्पत्ति ने अपनाया, लावारिस बच्चों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं हैं ये | Couple from Odisha is like god for orphanage children | Patrika News
अजब गजब

सगे मां-बाप ने छोड़ा तो इस दम्पत्ति ने अपनाया, लावारिस बच्चों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं हैं ये

तमाम लोग इस काम में उनकी मदद कर रहे हैं
चंदे के पैसों से चलता है यह आश्रम

Mar 08, 2019 / 03:22 pm

Arijita Sen

श्याम सुंदर जाल

सगे मां-बाप ने छोड़ा तो इस दम्पत्ति ने अपनाया, लावारिस बच्चों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं हैं ये

नई दिल्ली। किसी ने सच ही कहा है कि इंसान के मन में ही भगवान बसते हैं। समाज में रहते हुए कुछ समान्य इंसान ऐसे असामान्य काम कर जाते हैं जिसके चलते लोगों के बीच मशहूर हो जाते हैं। अपनी नेक पहल के जरिए ऐसे लोग सभी के लिए मिसाल बन जाते हैं। अच्छे काम के लिए पैसे की जरूरत नहीं पड़ती है बल्कि इसके लिए व्यक्ति का दिल बड़ा होना चाहिए।

श्याम सुंदर जाल और उनकी पत्नी कस्तूरी

हम यहां श्याम सुंदर जाल ? और उनकी पत्नी कस्तूरी जाल के बारे में बताने जा रहे हैं। ओडिशा के पिछड़े इलाकों में से एक है कालाहांडी। श्याम सुंदर अपनी बीवी के साथ यहीं रहते हैं।

गांववालों के लिए ये दोनों किसी भगवान से कम नहीं है। यह दम्पत्ति सड़कों पर बेसहारा घूमने वाले बच्‍चों को अपने घर लेकर आते हैं और उनका पालन पोषण बड़े ही प्यार के साथ करते हैं।

दोनों मिलकर जशोदा नामक एक आश्रम चलाते हैं। यहां फिलहाल करीब 23 लड़के और 113 लड़कियां रह रही हैं। इस आश्रम को चलाने के लिए उन्हें गांववालों से कुछ-कुछ पैसा मिलता है इसके अलावा सरकार और अन्य संस्थाएं भी इस काम में उनकी मदद करती है।

 

यही है वहां कमरा जहां लोग अपने बच्चों को छोड़कर जाते हैं

इस नेक काम को करने का विचार श्यामसुंदर के मन में उस वक्त आया जब उन्होंने आज से कुछ साल पहले एक अनाथ बच्चे को सड़क पर घूमते हुए देखा। उनकी मां ने तब उन्हें उस बच्चे को घर ले आने के लिए कहा। तब से वह ऐसा ही करते आ रहे हैं। जब भी उन्हें सड़क, बस स्टॉप, रेलवे स्टेशन, कूड़ादान इत्यादि जगहों पर कोई बच्चा मिला, वह उसे अपने साथ घर लेकर आए।

चंदे से चलने वाले इस आश्रम में बच्चे खुशी-खुशी रहते हैं। अपना अनुभव बताते हुए श्यामसुंदर कहते हैं कि अब तक उन्हें ज्यादातर लड़कियां मिली है। कुछ ऐसे भी बच्चे मिले हैं जिन्हें कुत्तों ने अपना शिकार बनाने का प्रयास किया। ऐसे में एक छोटे से कमरे का निर्माण कराया गया है जहां लोग अपने बच्चों को छोड़कर जाते हैं।

श्यामसुंदर इन बच्चों को एक पिता की तरह पालते हैं। उन्होंने सभी बच्चों का नामकरण भी खुद किया है। अब तक इन दोनों ने मिलकर 12 बच्चियों की शादी तक करा चुके हैं। ऐसे में बच्चे भी उन्हें बेहद प्यार करते हैं। अपने जैविक माता-पिता के नाम के स्‍थान पर ये बच्चे श्यामसुंदर और कस्तूरी के नाम का इस्तेमाल करते हैं।

श्यामसुंदर को गोल्डफ्रे फिलिप्स नेशनल ब्रेवरी अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।

Hindi News / Ajab Gajab / सगे मां-बाप ने छोड़ा तो इस दम्पत्ति ने अपनाया, लावारिस बच्चों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं हैं ये

ट्रेंडिंग वीडियो