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नमक वाली चाय का इतिहास काफी दिलचस्प है। भोपाल की बेगम सिकंदर जहां एक बार तुर्की की यात्रा पर गईं थीं। वहां उन्होंने नमक वाली चाय पी जो उन्हें बेहद पसंद आई। इसके बाद जब वे वापस लौटीं तो वे अपने साथ नमक वाली चाय की रेसीपी लेकर आईं। नवाबों के शौक के बाद नमक वाली चाय धीरे-धीरे महलों से निकलकर शहर के नुक्कड़ों तक पहुंच गई और लोगों की आदत बन गई। इस चाय को शमाबार, सुलेमानी और घूंघट वाली जैसे कई नामों से भी जाना जाता है। इस चाय को वैसे तो हर मौसम में पिया जा सकता है, लेकिन ठंड में इसके दीवाने स्वाद और सेहत दोनों के लिए इसे पीना पसंद करते हैं।