पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार मंदिर में स्थापित शिवलिंग 200 साल पुराना है और ये जमीन के नीचे मिला था। मंदिर के पुजारी के मुताबिक अश्वत्थामा को भोलेनाथ का पूजन करते देखना आम बात नहीं है। इस अद्भुत दृश्य को देखने की क्षमता व्यक्ति में नहीं होती है। इस घटना को देखने वाले की आंखों की रौशनी चली जाती है। कहते हैं कि अश्वत्थामा रात के अंधेरे में चुपके से आकर भगवान शंकर की पूजा करते हैं। वे उन्हें फूल-माला चढ़ाने के अलावा मंत्र का जाप करते हैं। तभी सुबह मंदिर के कपाट खोलने पर चीजें बिखरी हुईं मिलती हैं।
उत्तर प्रदेश के कानपुर के शिवराजपुर में स्थित शिव जी के इस धाम में दूर—दूर से भक्त दर्शन के लिए आते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार रात के अंधेरे में इस मंदिर में कुछ अजीब घटनाएं होती है। अचानक से घंटियां बजने लगती हैं। धूप—दीप की महक आने लगती है। जब सुबह पुजारी कपाट खोलते हैं तो मुख्य शिवलिंग का अभिषेक अपने आप हो चुका होता है। उन पर ताजे पुष्प चढ़े हुए होते हैं। कहा जाता है द्वापर युग में गुरु द्रोणाचार्य की कुटी यही हुआ करती थी। अश्वत्थामा का जन्म यही पर हुआ था। इसीलिए वे यहां पूजा करने आते हैं।