यह कहानी है तमिलनाडु ( Tamilnadu ) में रहने वाले 27 वर्षीय मोहन कुमार की। मोहन ने अपने परिवार के फिश कोल्ड स्टोरेज बिजनेस के लिए अपनी प्रोफेसर की नौकरी छोड़ दी। मोहन ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की। इसके बाद उन्होंने कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर पढ़ाना शुरू किया, लेकिन इस नौकरी में उनका मन नहीं लगा।
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दरअसल मोहन ( Mohan ) के माता-पिता फिश फ्राई की एक दुकान चलाते हैं। इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़ अपने परिवार के बिजनेस में हाथ बटांने की ठानी। मोहन ने मीडिया से बात करते हुए को बताया, ‘इंजीनियरिंग करने के बाद जब मैंने मछली का बिजनेस संभाला, तो कई लोगों ने मुझे पागल करार दिया।
जब मोहन से उनके प्रोफेसर की नौकरी छोडने के बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि मैं अपनी पिछली जॉब के मुकाबले इस काम से ज्यादा लगाव महसूस करता हूं। हालांकि ये बात अलग है कि उनके मा-बाप भी नहीं चाहते थे कि उनका बेटा इस बिजनेस में आए, मगर मोहन ने अपने दिल की बात मानी।
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मोहन अपने पुराने दिनों को याद करते हुए बताते है कि जब उनकी मां न्यूरोलॉजिकल डिसऑडर से जूझ रही थीं और उन्हें दुकान बंद करनी पड़ी थी। तब भी इस बिजनेस ने ही हमें मुश्किल दौर से उबारने में मदद की। मैंने इस फील्ड में कई मुश्किलों का सामना किया, जिसमें मेरा परिवार साथ नहीं खड़ा था।
आपको बता दें कि मोहन, करुर में होटल्स और छोटी दुकानों को दो से तीन टन मछली और मीट उपलब्ध करवाते हैं और हर महीने का तकरीबन 1 लाख रुपए तक की कमाई कर लेते हैं। मोहन अपने इस बिजनेस के जरिए ही नए मुकाम को छूने की ख्वाहिश रखते है।