देहदान की अलख जगाने वाले विकास पचौरी अपने वाहन से तमाम परिजनों और केमिस्ट एसोसिएशन के सदस्यों के साथ उमेश के पार्थिव शरीर को मेडीकल कॉलेज पहुंचे और डीन को सौंप दिया।
मेडीकल स्टोर संचालक उमेश सोनी और उनकी पत्नी ने विकास पचौरी की मुहिम से प्रेरित होकर देहदान का संकल्प लिया था। उमेश की अचानक मौत हो जाने से उनके परिजनों ने उनके संकल्प अनुसार उनका देहदान कराया। पचौरी ने मेडीकल कॉलेज के डीन डॉ डीके पाल से बात की और औपचारिकता पूरी कर उमेश के शव को उनके घर से पूरे सम्मान के साथ वाहन में रखकर, परिजनों, शुभचिंतकों और केमिस्ट एसोसिएशन के साथ पूरे शहर में घुमाते हुए मेडीकल कॉलेज पहुंचे।
जगह-जगह उमेश के पार्थिव शरीर पर लोगों ने श्रद्धासुमन चढ़ाए। कॉलेज के डीन डॉ पाल ने भी उमेश के पार्थिव शरीर को ग्रहण करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। डॉ पाल ने इसे सुखद संयोग बताते कहा कि समाजसेवी विकास पचौरी की पहल पर यह एक सार्थक प्रयास है। पार्थिव शरीर मेडीकल छात्रों के शोध में काम आएगा।
एक वर्ष में जरूरी हैं 12 बॉडी
डीन डॉ पाल ने बताया कि प्रथम वर्ष के छात्रों को मानव शरीर की संरचना समझाने के लिए एक साल में करीब 12 से 16 बॉडी की जरूरत होती है। इससे शोध में बहुत मदद मिलती है। आज पहली बॉडी कॉलेज को मिली है। यह बॉडी आवश्यकता अनुसार इसे केमीकल से परिरक्षित कर वर्षों तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
२२ लोगों को एक साथ दिलाया था संकल्प
देहदान को एक मुहिम बनाकर काम कर रहे विकास पचौरी का कहना है कि उमेश सोनी का देहावसान बहुत दुखद है, लेकिन यह संतोष की बात है कि उनके परिवार ने उनकी इच्छा और संकल्प के अनुरूप उनकी देह को मेडीकल कॉलेज पहुचाकर अपना सेवा धर्म निभाया। पचौरी ने हाल ही में एक साथ २२ लोगों को देहदान का संकल्प दिलाया है, जिसमें उनकी स्वयं की मां भी शामिल हैं।
विकास पचौरी कर रहे लोगों को जागरूक करने का काम
विकास पचौरी ने बताया कि इस काम में वे वर्षो से कर रहे है। उन्होनें बताया कि हम लोगों को देहदान करने के लिए जागरूक कर रहे हैं और लोग इस जागरूकता में हिस्सा ले रहे है।