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विदिशा

कोणार्क जैसा सूर्य मंदिर, सात घोड़ों के रथ पर सवार सूर्यदेव की प्रतिमा

ग्यारसपुर में दसवीं शताब्दी का बज्रमठ, अब यहां हैं तीर्थंकरों की प्रतिमाएं, सात अश्वों के रथ पर सवार सूर्य प्रतिमा वाला मंदिर बज्रमठ

विदिशाNov 30, 2022 / 02:45 pm

deepak deewan

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विदिशा. दुनियाभर में कोणार्क को सूर्य मंदिर के लिए जाना जाता है. यहां का भव्य और अनूठा सूर्य मंदिर देखने लोगों का तांता लगा रहता है. कोणार्क की तरह विदिशा में भी एक सूर्य मंदिर है हालांकि ये अब बहुत जीर्ण—शीर्ण हो गया है. जिले के ग्यारसपुर में दसवीं शताब्दी के बज्रमठ में सूर्य मंदिर के अवशेष अब भी मौजूद हैं.

विदिशा का नाम कभी भेलसा हुआ करता था, उसका यह नाम भेल्लस्वामिन यानी सूर्यदेव के नाम पर था। जिला संग्रहालय में प्राचीन सूर्य प्रतिमा भी मौजूद है। जिला मुख्यालय से करीब 38 किमी दूर ग्यारसपुर में बज्र मठ कभी सूर्य मंदिर हुआ करता था। इसके मुख्य द्वार पर अब भी भगवान सूर्य की सात अश्वों के रथ पर सवार प्रतिमा मौजूद दिखाई देती है। इसके अलावा ये मंदिर शिव और विष्णु को समर्पित है। हालांकि अब इसके अंदर जैन प्रतिमाएं स्थापित हैं।

पुरा धरोहर से भरपूर ग्यारसपुर में बज्र मठ को बाजरा मठ भी कहा जाता है, लेकिन दरअसल ये सूर्य मंदिर था। दसवीं शताब्दी में इसका निर्माण हुआ और फिर कालांतर में आसपास के मंदिरों जैसी ही दशा इसकी भी हुई। इसे मिटाने का काम हुआ और कई प्रतिमाओं के चेहरे नष्ट कर दिए गए। मुख्य द्वार की सबसे प्रमुख और दुर्लभ सूर्य प्रतिमा को भी नष्ट करने का प्रयास हुआ और उसका चेहरा भी नष्ट कर दिया गया। इसके अलावा अन्य कई प्रतिमाओं के चेहरे मिटा दिए गए लेकिन मंदिर फिर भी खड़ा रहा।

यह मंदिर जैन मंदिर के रूप में परिवर्तित हुआ
आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार मूलत: इस में मंदिर में सूर्य, विष्णु और शैव मूर्तियां प्रतिष्ठित थीं। मंदिर के दरवाजों, चौखट और पीछे के भाग में शिव, गणेश, विष्णु और ब्रम्हा आदि का कलात्मक अंकन है। एएसआई के अनुसार कालांतर में यह मंदिर जैन मंदिर के रूप में परिवर्तित हुआ, जिसमें जैन तीर्थंकर प्रतिमाएं स्थापित हैं।

मंदिर की दीवारों पर ब्रम्हा की अदृभ़ुत प्रतिमा सहित अनेक रूपों में विष्णु भगवान की प्रतिमाएं हैं। गणेश भी हैं और शिवजी भी हैं लेकिन सबसे दुर्लभ प्रतिमा मंदिर के प्रवेश द्वार पर सूर्यदेव की है. वे चौखट के उऊपर सात घोड़ों के रथ पर सवार दिखाई देते हैं, हालांकि अब ये प्रतिमा काफी क्षतिग्रस्त है।

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