scriptsawan somvar 2020: परमार राजा उदयादित्य की निशानी है बेजोड़ शिल्प और आस्था का केन्द्र उदयेश्वर मंदिर | sawan somvar 2020: udayeshwar mahadeva temple in ganjbasoda | Patrika News
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sawan somvar 2020: परमार राजा उदयादित्य की निशानी है बेजोड़ शिल्प और आस्था का केन्द्र उदयेश्वर मंदिर

शिव की नगरी के रूप में जाना जाता है

विदिशाJul 05, 2020 / 05:08 pm

KRISHNAKANT SHUKLA

sawan somvar 2020

sawan somvar 2020

विदिशा. जिले की गंजबासौदा तहसील से मात्र 25 किमी दूर स्थित छोटा सा गांव शिव की नगरी के रूप में जाना जाता है। यहां दसवीं-ग्यारहवीं शताब्दी में परमार राजा उदयादित्य द्वारा स्थापित विशाल और भव्य शिवालय दूर से ही अपनी भव्यता की दास्तां और महादेव की महिमा गुनगुनाता सा प्रतीत होता है। इस मंदिर को नीलकंठेश्वर महादेव और राजा उदयादित्य द्वारा स्थापित कराए जाने के कारण उदयेश्वर महादेव मंदिर भी कहा जाता है। महाशिवरात्रि और सावन के हर सोमवार पर यहां दर्शनार्थियों की भारी भीड़ उमड़ती है।


जगत का भ्रमण करने की अनुमति मांगने आते है
इस मंदिर की विशालता और गगनचुंबी शिखर समकालीन चंदेल राजाओं द्वारा निर्मित खजुराहो के मंदिरों से समानता रखते हैं। मंदिर के गर्भग्रह में विशाल शिवलिंग है, मंदिर का वास्तु कुछ इस प्रकार का है कि सूर्योदय के बाद सूर्य की पहली किरण सीधे गर्भग्रह में शिवलिंग पर पहुंचती है। मानो सूर्यदेव भोलेनाथ के दर्शन कर उनसे पूरे जगत का भ्रमण करने की अनुमति मांगने आते है।

 

sawan somvar 2020

तीन ओर मुख मंडप
गर्भग्रह के दोनों ओर गंगा-यमुना की प्रतिमाएं हैं। मंदिर के पूरे बाहरी हिस्से पर शिव, गणेश, महिषासुर मर्दिनी के विभिन्न रूपों के साथ ही देवी देवताओं को उत्कीर्ण किया गया है। इस मंदिर को देखकर आश्चर्य होता है कि मुगल आक्रमणकारियों के उपद्रव के बावजूद ये मंदिर इतना सुरक्षित कैसे बचा रह गया। मंदिर के विशाल परिसर में मंडल के साथ ही प्रवेश के लिए तीन ओर मुख मंडप हैं।


विधिवत पूजा की थी
शिवरात्रि और सावन सोमवार पर इन दरवाजों का उपयोग होता है। प्राचीन शिवलिंग पर पीतल का आकर्षक खोल भी चढ़ाया गया है। यह खोल 1775 में भेलसा(विदिशा का पुराना नाम)के सूबा खांडेराव अप्पा जी ने मंदिर के भीतर स्थित मुख्य शिवलिंग पर पीतल का खोल चढ़ाकर उसकी विधिवत पूजा की थी।

भव्य प्रतिमा विराजित है
मंदिर शिखर के कुछ नीचे नटराज की भव्य प्रतिमा विराजित है। शिखर के शीर्ष से कुछ नीचे एक मानव की प्रतिमा भी है, जिसे कुछ विद्वान मंंदिर के मुख्य वास्तुविद की मूर्ति मानते हैं तो कुछ इतिहासकारों ने इसे राजा उदयादित्य को स्वर्गारोहण करते बताया है। मंदिर में मूर्तिकला, तोरणद्वार, मेहराबें अत्यंत भव्य और दर्शनीय है।

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