इंटेक के संयोजक मदन मोहन उपाध्याय के अनुसार, इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज प्राचीन स्थल का दस्तावेजीकरण पूरा कर लिया है। जल्द ही अपनी रिपोर्ट पैश की जाएगी। बता दें कि, विदिशा जिले का ये इलाका गंजबासौदा से 15 किमी और भोपाल से 140 किमी दूरी पर स्थित है। साथ ही, विदिशा जिला प्रशासन, मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग और राज्य पुरातत्व विभाग भी इस समृद्ध विरासत के संरक्षण पर काम कर रहा है। नटराज की मूर्ति के संबंध में बताते हुए मदन मोहन ने बताया कि, नौ मीटर लंबी और चार मीटर चौड़ी विशाल मूर्ति एक ही चट्टान से बनाई गई थी। ये मूर्ति कितनी बड़ी है? इसका अंजादा इसी से लगाया जा सकता है कि, इसकी पूरी छवि को एक फ्रेम में लेने के लिए इंटेक द्वारा ड्रोन का इस्तेमाल करना पड़ा। इसके बाद ही ये स्पष्ट हुआ कि, हकीकत में ये नृत्य करती हुई शिव की प्रतिमा है।
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परमार राजा के शहर को खोजने की कवायद
आपको बत दें कि, पिछले एक-दो वर्षों से इंटेक द्वारा 1059 ईस्वी के आसपास परमार राजा द्वारा बसाए शहर उदयपुर की साइट पर खोज कर रहा है। उनका कहना है कि, ऐसा माना जाता है कि, उदयपुर के खंडहरों में इतिहास की कई परतें दफन हैं। नटराज की मूर्ति इन खंडहरों से पहले की है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इंटेक का मानना है कि, गांव, महलों, मंदिरों, जलाशयों, गढ़ों, किलेबंदी की दीवार और शहर के द्वार और असंख्या स्मारकों से जुड़े बुनियादी ढांचे, उदयपुर के बारे में आज भी बहुत कुछ कहने का प्रयास कर रहे हैं।
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