विदिशा। मध्यप्रदेश की विदिशा लोकसभा सीट से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का गहरा नाता रहा है। उन्होंने विदिशा सीट से चुनाव जीता था साथ ही लखनऊ से भी चुनाव लड़ा था। वे विदिशा से भारी मतों से चुनाव जीत गए थे। हालांकि प्रधानमंत्री बनने से पहले उन्हें एक सीट छोड़ा पड़ी थी। तो उन्होंने विदिशा लोकसभा सीट को छोड़ दिया था और शिवराज सिंह चौहान को अपना उत्तराधिकारी बता दिया था। इसके बाद शिवराज सिंह यहां से चुनाव जीते और लोकसभा पहुंचे थे।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने विदिशा से मई 1991 में लोकसभा का चुनाव लड़ा उस समय उनके निकटतम प्रतिद्वंदी के रूप में कांग्रेस के प्रत्याशी प्रताप भानु शर्मा थे, जो 2 बार लोकसभा का चुनाव विदिशा से जीत चुके थे।
आखिरी 15 मिनट में भरा था अपना नामांकन
अचानक अटल बिहारी वाजपयी दिल्ली से भोपाल आए और भोपाल से कार द्वारा नामांकन के आखिरी दिन 2:45 पर कलेक्ट्रेट परिसर में अपना नामांकन दाखिल करने पहुंचे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी प्रतापभानु शर्मा यहां अपने समर्थकों के साथ 2:00 बजे अपना नामांकन पत्र दाखिल कर चुके थे उस समय कलेक्ट्रेट परिसर में ही थे, उन्हीं के सामने भाजपा प्रत्याशी के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी का आना हुआ।
अटल बिहारी को नामांकन दाखिल करना था, जहां भाजपाइयों में भारी उत्साह था। वहीं कांग्रेस में दोनों के समर्थक किसी बात को लेकर आपस में भिड़ गए और कलेक्ट्रेट परिसर में पथराव में दोनों ही दलों के कई कार्यकर्ता घायल हुए। इससे कांग्रेस प्रत्याशी शर्मा कलेक्ट्रेट परिसर में ही नीम के नीचे धरने पर बैठ गए उनके कपड़े फट गए थे और वे काफी देर तक बनियान पहने ही पेड़ के नीचे धरने पर बैठे रहे चुनाव हुआ और अटल बिहारी वाजपेयी भारी मतों से विदिशा से विजय हुए।
विजय होने के बाद करीब 6 माह पश्चात् विदिशा आए और जैन कॉलेज परिसर में आयोजित सभा में उन्होंने विदिशा की जनता का आभार व्यक्त करते हुए लखनऊ से भी बड़ी जीत मिलने के कारण यहां से इस्तीफा देने का ऐलान किया और मंच पर मौजूद शिवराज सिंह चौहान को अपना उत्तराधिकारी घोषित करते हुए भाजपा का उम्मीदवार घोषित किया।