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पूर्वांचल में पहले तो काफी दिनों तक बारिश नहीं हुई। मानसून जब मेहरबान हुआ तो दो से तीन दिन में ही 15 दिन का पानी बरस गया। इसके चलते बारिश का अधिकांश पानी बह गया और किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पाया। किसानों ने पंपिग सेट के सहारे किसी तरह धान की फसल अब तक बचायी है लेकिन बारिश नहीं होने व धूप के चलते बची हुई फसल में पैदावर कम होने की संभावना बन गयी है।
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मौसम वैज्ञानिक प्रो.एसएन पांडेय ने बताया कि पिछले सप्ताह की रिपोर्ट के अनुसार पूर्वांचल में अभी तक सामान्य से 17 प्रतिशत कम पानी बरसा है। 4 सितम्बर तक 685 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी लेकिन अभी तक 566 मिलीमीटर बारिश हुई है। 29 से चार सितम्बर का डाटा देखा जाये तो 55 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी लेकिन 11 मिलीमीटर ही पानी बरसा है इस तरह पिछले सप्ताह माइनस 78 प्रतिशत कम पानी बरसा है। प्रो.एसएन पांडेय के अनुसार पश्चिम बंगाल में एक नया सिस्टम बन रहा है और सात सितम्बर से इसके सक्रिय होने की संभावना है यदि यह सिस्टम भी नहीं काम किया तो सामान्य बारिश होने की उम्मीद कम हो जायेगी। निजी एजेंसी स्काईमेट की यूपी की साप्ताहिक रिपोर्ट के अनुसार पूर्वी यूपी में सामान्य से 17 प्रतिशत कम बारिश हुई है। निम्ब दबाव का क्षेत्र उड़ीसा के पास विकसित हुआ है। मानसून ट्रफ भी पूर्वांचल में नहीं थी। उम्मीद है कि सात सितम्बर से यूपी में फिर से मानसून सक्रिय होगा और राज्य के पूर्वी व मध्य भाग में चार से पांच दिन बारिश होने की संभावना है।
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