इस योजना को लेकर कमिश्नर दीपक अग्रवाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में बीएचयू के कला इतिहास विभाग के प्रोफेसर डॉ प्रदोष मिश्रा ने इस कार्य को करने को लेकर अपनी रूपरेखा प्रस्तुत कर चुके हैं। जल्द ही श्री काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर परियोजना में मिले प्राचीन मंदिरों का इतिहास, उनकी प्राचीनता उनकी विशेषता के अलावा मंदिरों के निर्माता की जानकारी भी जुटाई जाएगी। और यह सारी जानकारियां वर्चुअल म्यूज़ियम के ज़रिये आम जन और शोधार्थियों के लिये एक क्लिक पर उपलब्ध होंगी।
कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने वर्चुअल म्यूजियम के महत्व को समझाते हुए कहा है कि मंदिरों की कलाकारी किस काल की है, यह मंदिर कितने पुराने हैं, इन मंदिरों को बनाने में जिस वास्तुकला का प्रयोग किया गया है उसका नामकरण किया जाएगा। मंदिरों का निर्माण किन शाशकों और राजाओं के कार्यकाल में हुआ है आदि विस्तृत जानकारियां जुटाने की ज़रूरत है, ताकि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु, रिसर्च स्कॉलर पर्यटक को मंदिरों की जानकारी प्राप्त हो सके।
60 मंदिर मिले हैं 30 का ज़िक्र स्कंद पुराण में
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री गौरांग राठी ने बताया कि कॉरिडोर के लिए खरीदे गए 300 भवनों में से करीब 60 मंदिर मिले हैं। इनमें से लगभग एक दर्जन मंदिरों की वास्तु कला अद्भुत है। पत्थरों को तराश कर इतनी शानदार नक्काशी उकेरी गई है जो अपने आप में बेहद खास है। करीब 30 ऐसे मंदिर हैं जिनका जिक्र स्कंद पुराण के काशी खंड में मिलता है। ऐसे में काशी विश्वनाथ धाम में इन मंदिरों का जीर्णोद्धार और संरक्षण करना बेहद जरूरी है। इस संरक्षण के कार्य में विश्वविद्यालय और संस्कृति मंत्रालय की टीम को जिस प्रकार के सहयोग की ज़रूरत होगी उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए एक संयुक्त टीम तैयार की जाएगी जो इस कार्य को पूरा कराने का काम करेगी।