मोहले ने कहा कि नरेंद भाई मोदी के इस भगीरथ प्रयास ने बरबस 17 वीं सदी के इतिहास के उन पन्नों की स्मृतियों को जीवंत कर दिया जब कट्टर मुस्लिम शासक औरंगजेब ने हिंदू आस्था के इस पवित्र केंद्र को नष्ट-भ्रष्ट कर दिया था। उसके बाद वर्ष 1780 में धर्म प्राण महारानी अहिल्या बाई होलकर ने काशी विश्वनाथ मंदिर को नया स्वरूप प्रदान किया। अब करीब 250 साल बाद नरेंद्र मोदी ने बाबा विश्वनाथ के मंदिर के सौंदर्यीकरण और विस्तारीकरण को मूर्त रूप प्रदान कर इतिहास दोहराया है। आज हर व्यक्ति मुक्त कंठ से उनकी सराहना कर रहा और उनमें 21 वीं सदी की अहिल्या बाई की छवि देख रहा।
पूर्व महापौर का कहना है कि पिछले दिनों पीएम मोदी ने स्वयं अपने एक संबोधन में अहिल्याबाई का जिक्र करते हए कहा, कि आज मैं लोकमाता अहिल्याबाई होलकर को प्रणाम करता हूं, जिन्होंने विश्वनाथ से लेकर सोमनाथ तक, कितने ही मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया। प्राचीनता और आधुनिकता का जो संगम उनके जीवन में था, आज देश उसे अपना आदर्श मानकर आगे बढ़ रहा है।” मोहले कहते हैं कि संपूर्ण काशीवासियों का यह विश्वास और दृढ़ हुआ है कि नरेंद्र मोदी के कुशल व सक्षम नेतृत्व में काशी, प्राचीनता और आधुनिकता के संगम के साथ धर्म और संस्कृति के महान केंद्र के पुरातन स्वरूप और गौरव को प्राप्त करेगी।
उन्होंने कहा कि उत्सव की नगरी काशी में विश्वनाथ कॉरीडोर के लोकार्पण का महाउत्सव एक नया इतिहास लिखेगा। इस अवसर पर आयोजित भव्यतम और दिव्यतम दीपोत्सव सम्पूर्ण विश्व के लिए आध्यत्मिक ऊर्जा का अक्षय स्तम्भ बनेगा। वैसे भी यह पौराणिक मान्यता है कि बाबा के धाम का पुण्य अक्षुण है। तो आइए हम सब मिलकर काशी नगरी के कण-कण पर दीपों की लड़ी सजाएं जिसकी समवेत ज्योति समूर्ण विश्व में यशस्वी प्रधानमंत्री के महान कृत्य की पताका फहराएं।