बाबा के श्रृंगार के बाद पद्मविभूषण गिरिजा देवी के प्रशिष्य रोहित-राहुल मिश्र के शिष्यों द्वारा बाबा के कजरी और बाबा के भजन गाए गए। आराधना मिश्रा, पूजा राय अथर्व मिश्र, तरुण सिंह, सत्यम पटेल, सूरज प्रसाद कलाकारों ने ‘झूला धीरे से झुलाऊं महादेव’, ‘गंगा किनारे पढ़ा हिंडोल, डमरूवाले औघड़दानी’, ‘झिर झिर बरसे सावन रस बूंदिया’, ‘कहनवा मानो ओ गौरा रानी’, ‘जय जय हे शिव परम पराक्रम’, ‘तुम बिन शंकर’ आदि रचनाएं बाबा के चरणों में अर्पित कीं।
अगले दिन रविवार (22 अगस्त) को श्रावण पूर्णिमा 2021 पर मंदिर की स्थापना काल से चली आ रही लोक परंपरा का निर्वाह किया जाएगा। इसके तहत बाबा को माता पार्वती और भगवान गणेश के साथ झूले पर विराजमान कराया जाएगा। काशी विश्वनाथ मंदिर में झूलनोत्सव शाम साढ़े पांच बजे के बाद शुरू होगा। इसके पहलेटेढ़ीनीम स्थित श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर बाबा विश्वनाथ की रजत पंचबदन प्रतिमा का विधि-विधान पूर्वक पूजन अर्चन किया जाएगा।
पूजा के बाद मंदिर के अर्चक और महंत परिवार के सदस्य बाबा की पंचबदन प्रतिमा को सिंहासन पर विराजमान करके टेढ़ीनीम से साक्षीविनायक, ढुंढिराजगणेश, अन्नपूर्णा मंदिर होते हुए विश्वनाथ मंदिर तक ले जाएंगे। इस दौरान बाबा का विग्रह श्वेत वस्त्र से ढंका रहेगा। मंदिर पहुंचने के बाद बाबा की पंचबदन प्रतिमा को माता पार्वती और गणेश के साथ पारंपरिक झूले पर विराजमान कराया जाएगा।
दीक्षित मंत्र से पूजन के बाद सबसे पहले महंत डा.कुलपति तिवारी बाबा को झूला झुलाएंगे। इसके बाद सप्तर्षि आरती कराने वाले महंत परिवार के सदस्य बाबा का झूला झुलाएंगे। बाबा के झूले की डोर थामने की आज्ञा सिर्फ उन्हीं भक्तों को होगी जो बिना सिला हुआ वस्त्र धारण किए रहेंगे। डा.कुलपति तिवारी ने बताया कि विश्वनाथ मंदिर के लिए शाम साढ़े चार से सवा पांच बजे तक विधान पूर्वक पूजन किया जाएगा। इस दौरान शहर के कई गणमान्य लोगों को आमंत्रित किया गया है। इनमें जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी शामिल हैं।