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इस जापानी धर्म गुरु सहित दुनिया भर के 20 मिलियन देशी-विदेशी भक्त इसलिए पहुंचे ग्लोबल महाकुंभ मेला 2025 में, जानिए

Maha Kumbh Mela 2025: ग्लोबल महाकुंभ मेला धूमधाम और उत्साह के साथ जारी है, यह मेला दुनियाभर के साधु-संतों और भक्तों को भारत पहुंचने का मौका दे रहा है ,जिन्होंने इस एकबारगी अवसर का हिस्सा बनने के लिए यहां भाग लिया है।

नई दिल्लीJan 14, 2025 / 04:22 pm

M I Zahir

Mahakumbh

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Maha Kumbh Mela 2025: यह एक अनूठा मेला है, कड़ाके की सर्दी और ठंडे पानी में श्रद्धा की डुबकी (holy dip), एक दो पांच नहीं, 20 मिलियन लोगों में भक्ति का सागर ऐसे हिलोरें ले रहा है कि यह नजारा देखते ही बनता है। दुनिया भर में सबसे अधिक हॉट स्पॉट ग्लोबल महाकुंभ मेले (Kumbh Mela 2025) पर सारी दुनिया की निगाहें जमी हुई हैं। देसी और विदेशी भक्त (foreign devotees) उमड़ रहे हैं। इस मेले में जापानी आध्यात्मिक नेता (spiritual leaders) योगमाता केइको आयकावा महाकुंभ मेला में उपस्थित हैं। अपने असाधारण कार्यों के लिए प्रसिद्ध, वे पहले के कुंभ मेलों में भूमिगत समाधि ले चुकी हैं, जहाँ उन्होंने चार दिनों तक बिना भोजन और पानी के ध्यान किया था। योगमाता केइको आयकावा एकमात्र विदेशी महिला महामंडलेश्वर हैं, जिन्होंने हिमालय में वर्षों तक गहरी साधना की है। उनके आध्यात्मिक योगदानों की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार सराहना की है। वे महाकुंभ मेले के बारे में कहीत हैं, “मुझे बहुत उत्साह महसूस हो रहा है। मैं सभी को आशीर्वाद देती हूं।”

कजाकिस्तान से आई साध्वी

दस साल पहले भारत आने वाली कजाकिस्तान की साध्वी ने कहा, “यह एक महान स्थान है, एक पवित्र स्थान। हर किसी को महाकुंभ मेले में आना चाहिए। मैं निश्चित रूप से यहाँ फिर आऊंगी। मैं पहले भी यहाँ आ चुकी हूं, और मैं फिर से आऊंगी।” महाकुंभ मेले में भाग लेने आए साध्वी के बेटे ने कहा, “यह मेरा पहली बार आगमन है। मुझे बहुत अच्छा लगा। यह एक बहुत अच्छा आयोजन रहा। मैं निश्चित रूप से यहाँ फिर आऊँगा। मैं यहाँ माँ गंगा का सम्मान करने आया हूँ।” सुबह के समय महाकुंभ मेले में विदेशी साधु-संतों और भक्तों के नेतृत्व में एक जुलूस भी देखा गया।

संगम घाट में पवित्र स्नान करना एक आध्यात्मिक अनुभव


आध्यात्मिक नेता साध्वी भगवती सरस्वती ने दुनिया भर के लोगों से महाकुंभ 2025 में आने का आह्वान किया, जो मंगलवार को भारत के प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में शुरू हुआ। उन्होंने कहा कि किसी का विश्वास और भक्ति महाकुंभ के इस भव्य आयोजन में भाग लेने के लिए पर्याप्त है। साध्वी ने कहा कि संगम घाट में पवित्र स्नान करना एक आध्यात्मिक अनुभव है, जैसे किसी के ‘आंतरिक स्व’ में स्नान करना। उत्तर प्रदेश के प्रधान सचिव, शहरी विकास, अमृत अभिजात ने बताया कि अब तक महाकुंभ 2025 के पहले ‘अमृत स्नान’ के दौरान लगभग 20 मिलियन भक्तों ने संगम में पवित्र स्नान किया है।

विदेशी भक्तों ने की मेज़बानी की सराहना

दुनिया के सबसे बड़ा धार्मिक उत्सव महाकुंभ मेले में मकर संक्रांति पर भारी भीड़ का साक्षी बना। मंगलवार को लाखों भक्तों ने संगम में गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाई। यह त्योहार, जो सूर्य के उत्तरी गोलार्ध की ओर यात्रा शुरू करने का प्रतीक है, इसमें भारत के हर राज्य और हर जाति से लोग, साथ ही कई देशों से विदेशी नागरिक भी इस पवित्र आयोजन में शामिल होने के लिए पहुंचे। विदेशी भक्त जेफ ने कहा, “मैं अमेरिका से हूँ, लेकिन मैं लिस्बन, पुर्तगाल में रहता हूँ,” उन्होंने पवित्र स्नान में भाग लिया। वे कहत हैं, “यहाँ की ऊर्जा बहुत शांत और आरामदायक है, और हर कोई बहुत मित्रवत लगता है। यहाँ आकर बहुत अच्छा महसूस हो रहा है।

अमेरिका के भक्त और ईरान की महिला

अमेरिका की एक और भक्त, पौला ने इस उत्सव में भाग लेने पर अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा, “आज का दिन बहुत अच्छा है,” उन्होंने टूटी-फूटी हिंदी में कहा, “इस अच्छे दिन पर हमें साधुओं के साथ स्नान करने का अवसर मिल रहा है। यह हमारी खुशीकिस्मती है कि हम महाकुंभ आए और संन्यासियों का साथ मिला।” दुनियाभर के विभिन्न हिस्सों से आए 9 लोगों के समूह का हिस्सा ईरान की एक महिला ने आयोजन की सराहना की। उसने कहा, “हम एक बहुत अच्छे टेंट कॉलोनी में रह रहे हैं। कुंभ बहुत अच्छी तरह से व्यवस्थित है। यह प्रभावशाली है।”

भारत और विदेशों के भक्त

संगम के किनारे भक्तों से पूरी तरह भरे हुए थे, और कई लोग “जय श्री राम” और “हर हर गंगे” जैसे नारे लगा रहे थे, जबकि वे पवित्र स्नान कर रहे थे। वातावरण जोश से भरा हुआ था, जिसमें भारत और विदेशों से आए भक्त एकजुटता और भक्ति की भावना में घुल मिल रहे थे। महाकुंभ मेला न केवल भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर को प्रदर्शित करता है, बल्कि यह दुनिया भर से लोगों को एक साथ लाने और भारत की गर्मजोशी को अनुभव करने का भी एक मंच प्रदान करता है।

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