ट्रंप के लिए मुश्किल होगा H-1B वीजा रोकना, विदेशियों को रोका तो ठप पड़ सकता है अमेरिका, जानिए कैसे
Indian workers in the USA : USA : यूएस के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ लेने का समय नदजीक आ गया है और इधर H-1B वीज़ा का मुददा गर्मा गया है। अब H-1B वीज़ा पर उनके सुर बदले हुए नजर आ रहे हैं।
Indian workers in the भारत में इस समय डोनाल्ड ट्रंप ( Donald Trump) प्रशासन की ओर से आव्रजन नीतियों में संभावित बदलाव के लिए चिंताएं बढ़ रही हैं, खासकर H-1B वीजा कार्यक्रम को लेकर यह चिंता बढ़ गइ है, जो अमेरिकी कंपनियों में कुशल विदेशी कामकाजी लोगों को लाने के लिए है, लेकिन इसे अमेरिकी श्रमिकों के लिए खतरे के रूप में देखा गया है। भारतीय (NRI News in Hindi) इस कार्यक्रम में प्रमुख हैं और उन्हें सभी H-1B वीजा का 70% से अधिक हिस्सा मिलता है। हालांकि, ट्रंप पहले इस कार्यक्रम के आलोचक थे, लेकिन अब उन्होंने इसका समर्थन किया है, और उनके करीबी सहयोगी और समर्थक, बिलियनेयर एलन मस्क ने भी इसका बचाव किया है।
अंतरराष्ट्रीय छात्रों का सबसे बड़ा स्रोत है अमेरिका
भारत ने सन 2024 में 2008-09 के शैक्षणिक वर्ष के बाद अमेरिका को पहली बार अंतरराष्ट्रीय छात्रों का सबसे बड़ा स्रोत बना दिया, जहां 331,000 से अधिक भारतीय छात्र अमेरिकी संस्थानों में पढ़ाई कर रहे हैं। ध्यान रहे कि भारत, अंतरराष्ट्रीय स्नातक छात्रों के मामले में भी अमेरिका का सबसे बड़ा स्रोत था, जिसमें संख्या 19% बढ़कर लगभग 2,00,000 छात्रों तक पहुंच गई। प्यू रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार सन 2023 में अमेरिका में आव्रजन में 1.6 मिलियन का इजाफा हुआ, जो पिछले दो दशकों में सबसे बड़ा बढ़ोतरी था। अमेरिका में भारतीय मेक्सिको के बाद दूसरे सबसे बड़े आप्रवासी समूह थे।
अमेरिका में निर्माण उद्योग : एक नजर
2033 तक 1.9 मिलियन नौकरियों के पद खाली रहना निर्माण क्षेत्र को 2033 तक 3.8 मिलियन नए कर्मचारियों की आवश्यकता हो सकती है तेज गति से बढ़ते रोजगार – सांख्यिकीविद, डेटा वैज्ञानिक, सेमिकंडक्टर प्रोसेसिंग तकनीशियन और मशीनी
पिछले 5 वर्षों में निर्माण क्षेत्र में सॉफ़्टवेयर कौशल की मांग में 75% का इजाफा
तकनीकी उद्योग में स्किल वर्कर्स की कमी में वृद्धि
अमेरिका में श्रमिकों की भारी कमी, तकनीकी डिग्री धारकों की कमी, बूमर पीढ़ी (जो 1946 और 1964 के बीच पैदा हुए थे) का रिटायर होना, जन्म दर में गिरावट, और कामकाजी उम्र के वयस्कों के बीच श्रम बल भागीदारी दर में गिरावट।
यूएस में 2019 के बाद से आव्रजन और विदेशी श्रमिक श्रम बल वृद्धि के मुख्य योगदानकर्ता रहे हैं।
स्किल वर्कर्स कौशल अंतर के रुझान
अमेरिकी नियोक्ता रिपोर्ट करते हैं कि दुनिया में कौशल अंतर में सबसे बड़ी वार्षिक वृद्धि हो रही है
66%-90% नियोक्ता आवश्यक कौशल वाले श्रमिकों को ढूंढने की जददोजहद कर रहे हैं।
अमेरिका और H-1B वीजा प्रोग्राम
H-1B वीजा अमेरिका का एक महत्वपूर्ण वीजा प्रोग्राम है, जो विदेशी पेशेवरों को अमेरिकी कंपनियों में काम करने की अनुमति देता है। यह विशेष रूप से आईटी, इंजीनियरिंग और अन्य तकनीकी क्षेत्रों में काम करने वाले पेशेवरों के लिए महत्वपूर्ण है। यदि अमेरिकी सरकार H-1B वीजा को रोक देती है या उसे सख्त बना देती है, तो उसके लिए इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। क्यों कि अधिकतर स्किल वर्कर्स दूसरे देशों से अमेरिका पहुंचते हैं आइए जानते हैं कि ऐसा होने पर अमेरिका के लिए क्या मुश्किलें पैदा हो सकती हैं।
बड़ी संख्या में पेशेवरों को अमेरिका में काम करने का मिलता है मौका
H-1B वीजा के तहत भारत, चीन, और अन्य देशों से बड़ी संख्या में पेशेवरों को अमेरिका में काम करने का मौका मिलता है, खासकर तकनीकी क्षेत्रों जैसे IT, इंजीनियरिंग, विज्ञान, और चिकित्सा में। यदि यह वीजा बंद होता है, तो इन पेशेवरों को अमेरिका में काम करने का अवसर नहीं मिलेगा, जिससे उनके करियर पर बड़ा असर पड़ेगा। इसके अलावा, अमेरिका में कार्य करने वाले विदेशी श्रमिकों की संख्या घटने से अमेरिका में कार्यबल की कमी हो सकती है। विदेशी स्किल वर्कर्स अमेरिका की ताकत हैं।
H-1B वीजा : डोनाल्ड ट्रंप का रुख
डोनाल्ड ट्रंप ने इस बहस में हिस्सा लिया और कहा कि उन्होंने H-1B वीजा को हमेशा पसंद किया है और इस योजना के तहत बाहरी श्रमिकों को नियुक्त किया है, हालांकि उन्होंने पहले इस कार्यक्रम की आलोचना की थी। इस बयान ने उनके MAGA समर्थकों को बहुत हैरान कर दिया है।
आखिर क्यों हो रहा है विरोध ?
इस वीजा का विरोध तब शुरू हुआ जब ट्रंप प्रशासन में भारतीय मूल के उद्यमी श्रीराम कृष्णन को एआई नीति का नेतृत्व सौंपा । कृष्णन की पुराने सोशल मीडिया पोस्टों में ग्रीन कार्ड प्रतिबंधों को लचीला करने का समर्थन करने से MAGA आलोचक नाराज हो गए, जिन्होंने उन पर “भारत पहले” का एजेंडा चलाने का आरोप लगाया। इस पर प्रभावशाली व्यक्ति लौरा लूमर ने कृष्णन की नियुक्ति की आलोचना की और मस्क व रामस्वामी पर अमेरिकी श्रमिकों की अनदेखी करने का आरोप लगाया।
डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकारों के बीच खींचतान
यह बहस ट्रंप के तकनीकी क्षेत्र से जुड़े प्रवासी सलाहकारों और MAGA समर्थक रिपब्लिकन के बीच बढ़ रही है। MAGA समूह ने ट्रंप का इस उम्मीद में समर्थनकिया था कि वे सभी प्रकार की आप्रवासन नीतियों पर सख्त कार्रवाई करेंगे। ट्रंप पहले H-1B वीजा के खिलाफ रहे हैं।
ट्रंप ,H-1B वीजा कार्यक्रम : विशेषज्ञों की राय
जेएनयू की एसोसिएट प्रोफेसर उमा पुरुषोथामन कहती हैं, “ट्रंप का H-1B वीजा कार्यक्रम के समर्थन में आने का मतलब है कि वह MAGA के कट्टर विरोधियों को नाराज कर रहे हैं, लेकिन उनकी इस बार की जीत और एलन मस्क जैसे टेक्नोलॉजी ओलिगार्क्स से उनके करीबी रिश्तों के मददेनजर यह एक ऐसा वर्ग है जिसे वह फिलहाल नजरअंदाज करने के लिए तैयार हो सकते हैं।”
मस्क और रामस्वामी का रुख
मस्क और रामस्वामी का मानना है कि अमेरिका की तकनीकी उद्योग को भारतीय जैसे देशों से इंजीनियरों और पेशेवरों की जरूरत है। मस्क ने X पर पोस्ट किया कि “अगर आपको अपनी टीम को चैंपियन बनाना है, तो आपको शीर्ष प्रतिभा कहीं से भी भर्ती करनी होगी,” और उन्होंने सिलिकॉन वैली में “अद्वितीय इंजीनियरिंग प्रतिभा की स्थायी कमी” की बात की। अब तक, ट्रंप H-1B वीजा कार्यक्रम को लेकर एलन मस्क और विवेक रामस्वामी की अगुवाई में DOGE टीम के पक्ष में दिखाई दे रहे हैं, जो कुशल श्रमिकों को अमेरिका लाने वाले इस वीजा कार्यक्रम में सुधार की बात कर रहे हैं। हालांकि, टेस्ला के सीईओ मस्क ने यह स्वीकार किया है कि H-1B वीजा प्रणाली “टूटी हुई” है और इसे बहुत सुधार की आवश्यकता है।
ताजा अपडेट और ट्रंप का रुख
डोनाल्ड ट्रंप के लिए यह एक कठिन स्थिति है क्योंकि उन्हें MAGA समर्थकों को भी संतुष्ट करना है, जो सभी प्रकार की आप्रवासन को सख्ती से रोकने के पक्ष में हैं। “एक व्यवसायी के रूप में, ट्रंप जानते हैं कि इन कार्यक्रमों के क्या फायदे हैं। उनका रुख यह दिखाता है कि उनका ध्यान अवैध आप्रवासन पर होगा, न कि वीजा कार्यक्रमों को बंद करने पर।” पुरुषोथामन कहती हैं।
भारत के योगदान को नकारा नहीं जा सकता
हालांकि भारतीयों का अमेरिकी जनसंख्या में हिस्सा केवल 1.5% है, लेकिन वे उच्च प्रोफाइल पदों पर कार्यरत हैं जैसे कि डॉक्टर, सीईओ, वैज्ञानिक और यहां तक कि अंतरिक्ष यात्री। साथ ही, भारतीयों की आय अन्य अप्रवासी समूहों से सबसे अधिक है।
H-1B वीजा का किस पर क्या असर ?
अमेरिका की सबसे बड़ी और सबसे तेज़ बढ़ती हुई कंपनियां, जैसे Google, Microsoft, Apple, Amazon, और Facebook, बड़े पैमाने पर विदेशी पेशेवरों पर निर्भर करती हैं, विशेष रूप से सॉफ़्टवेयर इंजीनियरिंग और डेटा साइंस जैसे क्षेत्रों में। यदि H-1B वीजा में कटौती की जाती है, तो इन कंपनियों को कुशल श्रमिकों की कमी का सामना करना पड़ सकता है, जो उनके विकास और नवाचार की गति को धीमा कर सकता है।
अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव
विदेशी पेशेवरों को रोकने से अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यह अमेरिका की प्रतिस्पर्धात्मकता को नुकसान पहुंचा सकता है, खासकर तकनीकी क्षेत्र में, जिससे अमेरिका का वर्चस्व घट सकता है। विदेशी पेशेवर अमेरिका में टैक्स देते हैं, जो आर्थिक विकास में योगदान करते हैं। इसके अलावा, वे कई उत्पादक उद्योगों में काम करते हैं जो अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करते हैं।
वैश्विक प्रतिभा का पलायन
यदि H-1B वीजा को और अधिक प्रतिबंधित किया जाता है, तो कई विदेशी पेशेवर अमेरिका के बजाय अन्य देशों जैसे कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, और यूरोपीय देशों में स्थानांतरित हो सकते हैं। यह अमेरिकी टेक्नोलॉजी कंपनियों के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ा सकता है और अमेरिका के प्रतिभा पूल को कमजोर कर सकता है।
शिक्षा और अनुसंधान पर प्रभाव
अमेरिका की प्रमुख विश्वविद्यालयों में बड़ी संख्या में विदेशी छात्रों और शोधकर्ताओं का योगदान है। H-1B वीजा को प्रतिबंधित करने से यह प्रवृत्ति प्रभावित हो सकती है, जिससे अमेरिका के शोध और विकास कार्यों में भी बाधा आ सकती है।
आपातकालीन कार्यक्षेत्र में प्रभाव
H-1B वीजा स्वास्थ्य देखभाल जैसे क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण है, जहां विदेशी डॉक्टरों, नर्सों और अन्य मेडिकल पेशेवरों का योगदान है। कोरोना महामारी के दौरान, अमेरिका में चिकित्सा पेशेवरों की कमी को पूरा करने में H-1B वीजा धारकों का बड़ा योगदान रहा था। इस वीजा को रोकने से चिकित्सा क्षेत्र में समस्या उत्पन्न हो सकती है, खासकर संकट की स्थिति में।
ट्रंप के लिए यह एक नाजुक स्थिति
बहरहाल कुल मिला कर, ट्रंप के लिए यह एक नाजुक स्थिति है, क्योंकि उन्हें अपने MAGA समर्थकों और तकनीकी उद्योग के नेताओं के बीच संतुलन बनाए रखना होगा। H-1B वीजा जैसे मुद्दे पर उनका रुख अमेरिका के भविष्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। असल में H-1B वीजा का अत्यधिक महत्व है क्योंकि यह अमेरिका को वैश्विक प्रतिभा का केंद्र बनाता है। यदि इसे रोकने का प्रयास किया जाता है, तो यह न केवल अमेरिका के तकनीकी और आर्थिक विकास को प्रभावित करेगा, बल्कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भी उसे नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में, ट्रंप या किसी भी प्रशासन के लिए इस वीजा को रोकने का निर्णय उठाना एक बड़ा कदम होगा, जिसका अमेरिका के समग्र विकास पर गहरा असर पड़ेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि श्रमिकों की दीर्घकालिक कमी प्रमुख उद्योगों को प्रभावित कर सकती है, तकनीकी नवाचार में धीमापन ला सकती है और आर्थिक उत्पादकता घटा सकती है।