हत्या के आरोप में धारा 302 की सजा काट रहा यह हाथी, आदेश के बाद रिहा करने का इंतजार
वाराणसी. इंसानों को उनके गुनाहों की सजा मिलने की खबर आपने बहुत सुनी होगी लेकिन क्या कभी किसी जानवर को सजा मिलते सुना है। ये हैरत करने वाली बात है लेकिन यह सच है कि किसी व्यक्ति पर हमला करने या उसे मारने पर अब जानवरों को भी सजा मिल रही है। ऐसा एक मामला सामने आया है जहां एक व्यक्ति को कुचलने के मामले में हाथी मिट्ठू पर धारा 302 (IPC Section 302) यानी हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है। यह हाथी करीब डेढ़ साल से बेड़ियों में जकड़ा है और अब इसकी रिहाई को लेकर वाराणसी के पुलिस कमिश्नर ए सतीश गणेश ने पहल की है। लॉकडाउन के बाद न्यायालय के आदेश आने के बाद उसे लखीमपुर खीरी स्थित दुधवा नेशनल पार्क भेज दिया जाएगा।
मिठ्ठू बीते डेढ़ साल से ज्यादा समय से बेड़ियों में जकड़ा हुआ है। सोशल मीडिया के जरिये जब पुलिस कमिश्नर को मिट्ठू के बेड़ियों में बंद होने की बात पता चली तो उन्होंने अपने पुराने परिचित और चिड़िया घर के डायरेक्टर रमेश पांडेय से बात कर पैरोल पर रिहा कराने की बात की। मिट्ठू को जल्द ही रिहा कर लखीमपुर खीरी के दुधवा नेशनल पार्क भेजने की उम्मीद है।
यह है मामला घटना 20 अक्टूबर, 2020 की है। उस वक्त रामनगर की रामलीला चल रही थी। महावत के बेटे रिंकू के अनुसार, रामलीला से लौटने के बाद हाथी मिट्ठू ने छेड़खानी से गुस्साए एक व्यक्ति को कुचलकर मार दिया। इस घटना के बाद से ही हाथी पर 302 के तहत मुकदमा दर्ज है। हाथी के साथ ही उसके मालिक पर भी वन्य जीव अधिनियम के तहत मुकदमा चन्दौली के बबुरी थाने में लिखा गया था। इसमे महावत को तो जमानत मिल गई लेकिन बेजुबान जानवर मिट्ठू को कोई राहत नहीं मिली। वाराणसी पुलिस कमिश्नर ने इस संबंध में फॉरेस्ट सर्विस के अपने साथी रमेश पांडेय से संपर्क किया जो कि नई दिल्ली चिड़ियाघर के डायरेक्टर हैं। रमेश पांडेय ने चिड़ियाघर के अधिकारियों से बात कर मिट्ठू की रिहाई की बात कही है।
बंदर को मिली उम्रकैद की सजा मिट्ठू हाथी की ही तरह बंदर कलुआ को भी लोगों पर अटैक करने के जुर्म में सजा मिली है। कानपुर प्राणी उद्यान के अस्पताल परिसर में पिंजड़े में बंद कलुआ बंदर को उम्रकैद की सजा दी गई है। इसे मिर्जापुर से पकड़ कर लाया गया है। आज से चार वर्ष पूर्व मिर्जापुर जिले में आतंक का पर्याय बने इस बंदर ने 250 से अधिक लोगों को काटा है। इसमें एक की मौत भी हो चुकी है। इसी आरोप में बंदर को ताउम्र पिंजड़े में बंद कर दिया गया है।
शराब पीता था बंदर मिर्जापुर के इस बंदर को एक तांत्रिक ने पाला था। वह इसे पीने के लिए शराब देता था। इसी से इसे शराब की लत लग गई। तांत्रिक की मौत के बाद बंदर आजाद हुआ तो उसने तांडव मचाना शुरू कर दिया। इसके व्यवहार में भी बदलाव आने लगा। यह पहले से ज्यादा खतरनाक हो गया। बंदर के चिड़चिड़े स्वभाव के कारण इसे 2020 में ही कानपुर के चिड़ियाघर में लाया गया। उसे अब यहां चार साल हो गए हैं। लेकिन उसकी आदत में कोई सुधार नहीं है। इसी को देखते हुए उसे जिंदगीभर पिंजड़े में बंद करने का फैसला किया गया है। बंदरों की औसतन उम्र 10 साल होती है। इस बंदर की उम्र करीब छह साल है। इसके व्यवहार में कोई सुधार न होता देख इसे जिंदगीभर के लिए पिंजड़े में बंद रखने का निर्णय किया गया है।