शराब तस्करी के इस गैंग में सिपाहियों के साथ दरोगा भी शामिल थे। रामनगर थाने से होकर चंदौली जाने वाला एक हाइवे है। हरियाणा से तस्करी कर शराब को बनारस होते हुए चंदौली के जरिए बिहार भेजा जाता है। इसके चलते रामनगर थाने बहुत कमाऊ थाना माना जाता है जहां पर तैनाती के लिए पुलिसकर्मी उपर तक की सिफारिश कराते रहते हैं। इसकी मुख्य वजह यहां से पशु व शराब तस्करी से मिलने वाला पैसा होता है। सालों से चला आ रहा खेल आगे भी चलता रहता लेकिन चंदौली पुलिस ने इस खेल को खराब कर दिया। चंदौली पुलिस ने जब शराब तस्करों को पकड़ा था तो उन्हें छुड़ाने के लिए रामनगर थाना के दो सिपाही आये थे और चंदौली पुलिस के साथ मारपीट करने लगे थे। इसके बाद ही पुलिस को इस मामले की गंभीरता समझ में आयी थी। चंदौली एसपी ने दोनों आरोपी सिपाहियों को गिरफ्तार कराया और तीसरे सिपाही की बनारस पुलिस लाइन से पकड़वाया। चंदौली एसपी ने यह भी ऐलान किया कि इस मामले की जांच कर पूरे गिरोह की कमर तोड़ देंगे। इसी क्रम में आरोपी सिपाहियों से पूछताछ के बाद गिरोह में शामिल अन्य पुलिसकर्मी पर कार्रवाई की तैयारी है।
यह भी पढ़े:-सप्लायर ने पुलिसकर्मियों का बनाया था गिरोह, अन्य तस्करों की शराब को पकड़ा कर ऐसे पार कराता था माल एसएसपी ने प्रशिक्षु आईपीएस को सौपी रामनगर थाना प्रमुख की भूमिका की जांच की जिम्मेदारीरामनगर थाना के तीन सिपाहियों की शराब तस्कर गैंग से जुड़े होने की जानकारी मिलते ही विभाग में हड़कंप मच गया है। एडीजी जोन वाराणसी बृजभूषण ने चंदौली एसपी से पूरे मामले की जांच रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट में सिपाहियों के दोषी मिलने पर उन्हें बर्खास्त तक किया जा सकता है। सूत्रों की माने तो जब रामनगर के दो सिपाहियों को चंदौली पुलिस ने शराब तस्करी के आरोप में पकड़ा थ तो रामनगर थाना प्रमुख ने कड़ा एतराज जताया था और चंदौली के कोतवाल से भी उलझ गये थे। एसएसपी आनंद कुलकर्णी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशिक्षु आईपीएस मुश्ताक अहमद को पूरे प्रकरण में रामनगर थाना प्रमुख की भूमिका की जांच कराने की जिम्मेदारी सौंपी है।
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