वाराणसी. यूपी में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। वहीं कुछ समाजवादी पार्टी के चहेते रह चुके विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया अब भाजपा के लिए ठाकुर विधायकों की गोलबंदी करने में जुटे हुए हैं। चुनाव के नजदीक आते ही राजा भैया ने भाजपा से हाथ मिलाना शुरू कर दिया है। ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा है कि मौका देखते ही साइकिल से उतर जाएंगे राजा भैया। कहा जा रहा है कि यदि ठाकुर विधायकों को एकजुट करने में वह सफल रहे तो यह सपा को बड़ा झटका साबित हो सकता है।
सीएम अखिलेश यादव से चल रही उनकी तल्खियां भी किसी से छिपी नहीं हैं। अब तो खुली बैठकों में भी उन्होंने सीएम पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। यह कोई उनका पहला मामला नहीं है कि राजा भैया किसी बात को लेकर चर्चाओं में आए हों। इससे पहले बसपा सुप्रीमो मायावती से उलझनों के चलते भी वह काफी चर्चा में रहे थे। उन्हें जेल यात्रा भी करनी पड़ी थी। लेकिन सपा सरकार आते ही वह कैबिनेट में शामिल हो गए।
चुनावी गणित के माहिर राजनेता हवा का रुख भांपते हुए अभी से अपनी स्थिति मजबूत करने में लग गए हैं। वहीं सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया एक बार फिर चर्चा में हैं। सीएम अखिलेश यादव पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधने के बाद उनके बीजेपी में शामिल होने के कयासों के बीच राजनीतिक गलियारे में हलचल मच गई है। महज 24 की उम्र में अपना राजनीतिक सफर शुरू करने वाले राजा भैया ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपना चुनाव जीता था।
रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया इनका नाम यूपी के सबसे विवादित चेहरों में गिना जाता है। ऐसा माना जाता है कि हत्या और अपहरण इनके लिए बहुत मामूली चीज है। राजा भैया और इनके लोगों पर चल रहे आपराधिक मामले इस बात का सबूत है कि इस बाहुबली का जुड़ाव किस कदर अपराध से है। रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का आपराधिक इतिहास रहा है। राजा भैया ने ऐसे-ऐसे कारनामों को अंजाम दिया है जिससे वो हमेशा सुर्खियों में रहे हैं। चाहे मामला मारपीट, डकैती या हत्या का हो, राजा भैया ने हर काम दबंगई से अंजाम दिया।
2012 के विधानसभा चुनाव के दौरान राजा भैया ने चुनाव आयोग में जो हलफनामा जमा किया उसके मुताबिक उनके खिलाफ आठ मामले लंबित हैं। इनमें हत्या की कोशिश, हत्या के इरादे से अपहरण, डकैती जैसे मामले शामिल हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश गैंगेस्टर एक्ट के तहत भी उनके खिलाफ मामला चल रहा है।
राजाभैया और उनके आपराधिक विवाद
दो मार्च को बलीपुर गांव में एक हत्याकांड के बाद मचे बवाल को शांत करने गए कुंडा के डीएसपी जियाउल हक की हत्या कर दी गई थी। जियाउल हक की पत्नी द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में राजा भैया को इस मामले में आरोपी बताया गया।
मंत्रिमंडल से देना पड़ा था इस्तीफा2012 में सपा की सरकार बनने के बाद उन्हें एक बार फिर मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया। लेकिन प्रतापगढ़ के कुंडा में डिप्टी एसपी जिया-उल-हक की हत्या के सिलसिले में नाम आने के बाद राजा भैया को अखिलेश मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा। सीबीआई जांच के दौरान क्लिनचिट मिलने के बाद उनको आठ महीने बाद फिर से मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया।
तालाब में घड़ियाल पालने का आरोपरघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की बेंती कोठी के पीछे 600 एकड़ के तालाब से कई तरह के किस्से जुड़े हैं। लोगों के बीच धारणा थी कि राजा भैया ने इस तालाब में घड़ियाल पाल रखे थे। वे अपने दुश्मनों को मारकर उसमें फेंक देते थे। हालांकि राजा भैया इसे लोगों का मानसिक दिवालियापन बताते हैं।
तालाब में पाया गया कंकाल29 जनवरी, 2003 को राजा भैया के तालाब से कंकाल बरामद होने के बाद उन पर हत्या का आरोप लगा था। 2003 में मायावती सरकार ने भदरी में उनके पिता के महल और उनकी कोठी पर छापा मरवाया था। बेंती के तालाब की खुदाई में एक नरकंकाल मिला था। वह कंकाल कुंडा क्षेत्र के ही नरसिंहगढ़ गांव के संतोश मिश्र का था। संतोश का कसूर ये था कि उसका स्कूटर था कि उसका स्कूटर राजा भैया की जीप से टकरा गया था। राजा भैया के आदमियों ने उसे बुरी तरह से मार-पीटकर तालाब में फेंक दिया।
1. राजा भैया को 03 नवंबर, 2002 में भाजपा विधायक पूरन सिंह को जान से मारने की धमकी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
2. 23 नवंबर, 2002 को समर्थकों के घर से शराब दुकानों के दस्तावेज मिलने पर राजा भैया के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया।
3. 24 नवंबर, 2002 को राजा भैया के भाई और निर्दलीय एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह गिरफ्तार किए गए।
4. 01 दिसंबर, 2002 को राजा भैया और उनके पिता उदय प्रताप सिंह के खिलाफ डकैती और घर कब्जाने के मामले में मुकदमा दायर हुआ।
5. 25 जनवरी, 2003 को राजा भैया तथा उदय प्रताप सिंह के घर छापा, हथियार और विस्फोटक बरामद।
6. 29 जनवरी, 2003 को राजा भैया के तालाब से कंकाल बरामद होने के बाद उन पर हत्या का आरोप।
7. 05 मई, 2003 को उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मायावती सरकार ने रघुराज प्रताप सिंह, उनके पिता उदय प्रताप सिंह और रिश्तेदार अक्षय प्रताप के खिलाफ पोटा के तहत मुकदमा चलाने को मंजूरी दी।
8.14 नवंबर, 2005 को राजा भैया और उनके पिता ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कानपुर के पोटा कोर्ट में समर्पण किया।
9. 17 दिसंबर, 2005 को जमानत मिलने के बाद राजा भैया जेल से रिहा हुए।
Hindi News / Varanasi / जब मायावती के डर से छूटते थे राजा भैया के पसीने, सिखाया था सबक