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राजा भैया को सवर्ण वोट बैंक का सहारा है। राजा भैया और वोटरों में भी सेंधमारी करने में जुटे हुए हैं लेकिन राजा भैया को सबसे अधिक समर्थन सवर्ण वोटरों से मिल रहा है। बनारस संसदीय सीट पर सवर्ण वोटरों का बड़ा भाग बीजेपी व कांग्रेस में बंट जाता है। बीजेपी ने सवर्ण वोटरों को अपने पास बनाये रखने के लिए सवर्ण आरक्षण लागू किया है। राजा भैया की पार्टी अपना प्रत्याशी बनारस से उतारती है तो बीजेपी के सवर्ण वोटर भी जुड़ सकते हैं ऐसा होने पर बीजेपी को नुकसान हो सकता है। पीएम नरेन्द्र मोदी को घेरने के लिए सपा व बसपा ने हार्दिक पटेल तो राहुल गांधी के प्रियंका गांधी वाड्रा को उतारने की चर्चा है ऐसे में राजा भैया भी अपना प्रत्याशी उतार देते हैं तो बीजेपी की फजीहत बढऩी तय है।
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रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के पिता राजा उदय प्रताप सिंह का आरएसएस से जुड़ाव है। इसके चलते राजा भैया के परिवार को लेकर आरएसएस भी नरम रुख अपनाता है। राजा भैया के प्रत्याशी जब चुनाव में उतरेंगे तो आरएसएस से भी कुछ सहयोग मिल सकता है। हिन्दुवादी नेता होने के चलते राजा भैया को हिन्दू वोटरों को जबरदस्त साथ मिलता है। बीजेपी के विरोधी दल राजा भैया को भगवा दल की बी पार्टी बताते आये हैं। यदि राजा भैया ने पीएम नरेन्द्र मोदी के खिलाफ प्रत्याशी नहीं उतारा तो विरोधी दलो की बात सही साबित हो जायेगी। ऐसे में राजा भैया को ८० सीटों पर प्रत्याशी उतराना होगा। राजा भैया व पीएम नरेन्द्र मोदी जब आमने-सामने होंगे तो सियायत में हड़कंप मचना तय है।
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