2022 विधानसभा चुनाव में आजमगढ़, मऊ और बलिया में अपनी सियासी ताकत सपा के साथ मिलकर दिखा चुके ओमप्रकाश राजभर अब सपा से अलग हो चुके हैं। उसके बावजूद उनेक सियासी कद का अंदाजा मंगलवार की रात हुए बेटे अरुण राजभर के रिसेप्शन में देखने को मिला। इस रिसेप्शन में अरुण राजभर को आशीर्वाद देने के लिए भाजपा से भूपेंद्र सिंह चौधरी, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या, मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, मंत्री रविंद्र जायसवाल, मंत्री सूर्य प्रताप शाही सहित आरएलडी के जयंत चौधरी, विधानसभा में प्रतिपक्ष के पूर्व नेता रामगोविंद चौधरी, गाजीपुर के जमानियां विधायक ओमप्रकाश सिंह, जंगीपुर विधायक वीरेंद्र यादव भी पहुंचे।
अरुण राजभर के रिसेप्शन पर पूर्व एमएलसी और बाहुबली बृजेश सिंह के साथ ही साथ जौनपुर जनपद के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद धनंजय सिंह भी पहुंचे। दोनों ही बाहुबलियों ने काफी देर तक ओमप्रकाश राजभर से चर्चा की। वहीं अफजाल, मुख्तार और अब्बास अंसारी के जेल में होने की वजह से उनके बड़े भाई शिगबतुल्लाह अंसारी के बेटे विधायक मन्नू अंसारी भी रिसेप्शन में पहुंचे। मुख्तार के कुछ करीबी और कुछ विरोधी खेमे के नेता भी नजर आए। इस राजनीतिक जमावड़े से पूर्वांचल में नए समीकरण बनने की बात कही जा रही है।
दरअसल, सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले नए समीकरण बनाने को बेताब हैं। हालांकि सपा से अलग होकर उन्होंने अपने पत्ते तो नहीं खोले, लेकिन बेटे की शादी में दिग्गजों को जुटाकर अपनी राजनीतिक अहमियत जरूर दिखाई। भाजपा के नेताओं का जमावड़ा जिस तरह से ओपी राजभर के बेटे के रिसेप्शन पर दिखाई दिया है उससे प्रदेश में नए गठबन्धन की सुगबुगाहट शुरू हो गई है।
पूर्वांचल की राजनीति में ओमप्रकाश राजभर ने सुभासपा और अपना कद साल 2022 के विधानसभा चुनाव में काफी बढ़ा लिया है। सपा से गठबंधन के बाद पूरे प्रदेश एक तरफा जीत रही भाजपा का सुभासपा ने आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर और बलिया में कई सीटों पर विजयी रथ रोक दिया। इसके बाद सपा से कुछ मुद्दों पर सहमति न बनने पर उन्होंने अपना रास्ता अलग कर लिया पर सियासी धमक से अब सभी पार्टियां उनका महत्त्व समझ गईं हैं।