जीएसआई डाटा की भी मदद लेंगे कहा तो यहां तक जा रहा है कि ज्ञानवापी परिसर का मानचित्र तैयार करने में जीएसआई मुख्यालय से भी डाटा हासिल किया जा रहा है। जीएसआई मैप को मौजूदा चौहद्दी पर केंद्रित करते हुए नया मानचित्र तैयार होगा।
कोर्ट कमिश्नर ने सर्वे के दौरान नक्शा बनाने की भी जरूरत बताई है मिली जानकारी के मुताबिक कोर्ट कमिश्नर ने सर्वे के दौरान ज्ञानवापी परिसर का मानचित्र तैयार करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। बताया जा रहा है कि जिस तरह से अयोध्या प्रकरण में फैजाबाद सिविल कोर्ट ने एक अप्रैल 1950 को विवादित स्थल का मानचित्र तैयार करने के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया था, जिसका इस्तेमाल बाद में भारतीय पुरातत्व विभाग की खोदाई के दौरान भी किया गया था। वो मानचित्र अयोध्या प्रकरण के उच्चन्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में हुई सुनवाइयों के दौरान साक्ष्य के तौर पर प्रस्तुत किया गया था। यहां तक कि सर्वोच्च न्यायालय के अहम् फैसले में भी मानचित्र का उल्लेख आया था। इसकी पुष्टि सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और अयोध्या मामले में हिंदू पक्ष के वकील रहे हरिशंकर जैन भी करते हैं। उन्होंने मीडिया को बताया है कि ऐसा सर्वे (ज्ञानवापी परिसर) भले ही साधारण सर्वे की श्रेणी में आता है, लेकिन किसी दावा संबंधी प्रकरण में इस तरह के साक्ष्य महत्वपूर्ण होते हैं और बहुधा भी साबित होते हैं।
सर्वे में हिंदू पक्ष के दावे की हो रही पुष्टि सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन का कहना है कि हालांकि अयोध्या और ज्ञानवापी का मामला अलग-अलग हैं। अयोध्या में काफी समय तक चले सर्वे व खोदाई के बाद तथ्य हिंदुओं के पक्ष में तथ्य सामने आने शुरू हुए थे, लेकिन ज्ञानवापी परिसर के प्रसंग में तो पहली बार में ही सर्वे हिंदू पक्ष के दावा को पुष्ट करता नजर आ रहा है।