बनारस के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं.ऋषि द्विवेदी बताते हैं कि मां कर हर रुप शक्ति से भरा हुआ है। नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी का दर्शन किया जाता है। मां के चार हाथ है ओर चारों हाथों में अभय मुद्दा, वर मुद्दा, तलवार व पुष्प है माता का वाहन सिंह है। मां कात्यायनी देवी का नाम भी विशेष है। जिन युवक व युवती के विवाह में बाधा आ रही है उन्हें माता का दर्शन जरूर करना चाहिए। माता प्रसन्न हुई तो योग्य जीवन साथी मिलता है। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि माता की पूजा करने से खास चक्र जागृत हो जाता है यह चक्र जागृत हुआ तो जीवन में आने वाली सारी बाधा खत्म हो जाती है। पृथ्वी पर जब महिषासुर का अत्याचार बढ़ गया था तभी भगवान शिव, विष्णु व ब्रह्मा ने तप किया था उनकी शक्ति से मां कात्यायनी देवी उत्पन्न हुई थी और राक्षस का वध कर पृथ्वी लोक को उससे मुक्ति दिलायी थी। पंडित ऋषि द्विवेदी बताते हैं कि माता को गुड़हल, श्वेत पुष्प, नारियल चुनरी, सफेद बर्फी या पेड़ा चढ़ाया जाता है, जिससे माता प्रसन्न होकर भक्तों को मनचाहा वर देती है। माता को चंदन चढ़ाने से भी वह प्रसन्न हो जाती है।
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