कुंवारी कन्याओं को मिलता है विवाह का वरदान माता कात्यायनी देवी मंदिर के पुजारी कुलदीप मिश्रा ने बताया कि नवरात्र की षष्ठी तिथि को माता कात्यायनी के दर्शन का विधान है। इनके दर्शन करने से कुंवारी कन्याओं को विवाह का वरदान मिलता है। इसके अलावा 7 मंगलवार को माता को दही-हल्दी लगाने की मान्यता भी है।
पापों का करती हैं नाश माता कात्यायनी पापों का नाश करती हैं। मां के इस रूप के पूजन-अर्चन करने से माता आत्मज्ञान प्रदान करती हैं। उन्होंने बताया कि काशी के अलावा वृन्दावन में भी माताअधिष्ठात्री देवी हैं। माना जाता है कि भगवान कृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए गोपियों ने कात्यायनी व्रत रखा था।
मां कात्यायनी को पसंद है शहद मां कात्यायनी ने देवताओं की प्रार्थना सुनकर महिषासुर से युद्ध किया। महिसासुर से युद्ध करते हुए मां जब थक गई तब उन्होंने शहद युक्त पान खाया। शहद युक्त पान खाने से मां कात्यायनी की थकान दूर हो गयी और महिषासुर का वध कर दिया। कात्यायनी की साधना एवं भक्ति करने वालों को मां की प्रसन्नता के लिए शहद युक्त पान अर्पित करते हैं।