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वाराणसी

मुन्ना बजरंगी की मौत के बाद सामने आया सबसे बड़ा सच, जेल से बाहर आने के बाद भी नहीं लड़ सकता था चुनाव

पत्नी को चुनाव जीता कर पूरा करना चाहता था सपना, सुपारी किंग को बचाने के लिए अपनो ने इस मामले को दबा दिया था

वाराणसीJul 23, 2018 / 03:48 pm

Devesh Singh

Munna Bajrangi

Munna Bajrangi

वाराणसी. मुन्ना बजरंगी की मौत के बाद एक बड़ा सच सामने आ गया है। सुपारी किंग बजरंगी को इस बात की जानकारी पहले से हो गयी थी लेकिन अपनों ने सच को छिपा दिया था। राजनीति में जाने का सपना पूरा होना कठिन हो गया था इसलिए पत्नी को जनप्रतिनिधि बना कर अपना सपना पूरा करना चाहता था।
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मुन्ना बजरंगी पर दर्जनों मुकदमे दर्ज थे। कई मुकदमों में वह बरी हो चुका था। बजरंगी को उम्मीद थी कि सभी मुकदमों में वह बरी हो जायेगा। बागपत जेल में हत्या होने से पहले बजरंगी के जौनपुर से चुनाव लडऩे की अटकले लग रही थी। हत्या की एक वजह यह भी माना जा रहा है लेकिन सच्चाई कुछ और ही थी। सूत्रों की माने तो मुन्ना बजरंगी चुनाव लड़ ही नहीं सकता था। दिल्ली कोर्ट ने मुन्ना बजरंगी को चार साल की सजा सुनायी थी, जिसके चलते वह चुनाव लडऩे के अयोग्य हो गया था इसलिए वह चाहता था कि उसकी पत्नी सीमा सिंह चुनाव लड़े। हालांकि परिजनों ने सजा के बारे में अधिककृत रुप से कुछ नहीं कहा है लेकिन सूत्रों के दावे की माने तो 28 अप्रैल 2016 को दिल्ली की रोहणी कोर्ट ने बजरंगी को सजा सुना दी थी।
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इस मामले में हुई थी मुन्ना बजरंगी को सजा
पुलिस ने मुन्ना बजरंगी का एनकाउंटर किया था। उस समय मुन्ना बजरंगी को एक दर्जन से अधिक गोली लगी थी। इस एनकांउटर में मुन्ना बजरंगी के साथ उसका साथी यतीन्द्र को भी गोली लगी थी। यतीन्द्र की तो मौके पर ही मौत हो गयी थी लेकिन सुपारी किंग ने मौत को मात दे दी थी। इस एनकाउंटर में पुलिस ने अवैध असलहे भी बरामद किये थे। बाद में मुन्ना बजरंगी ठीक होकर जरायम की दुनिया में फिर सक्रिय हो गया था यह मामला कोर्ट में चल रहा था और कोर्ट ने इसी अवैध असलहे की बरामदगी एंव अन्य धारा में मुन्ना बजरंगी को चार साल की सजा सुनायी थी। सजा सुनाने के वर्षों पहले से मुन्ना बजरंगी खुद जेल में था इसलिए सजा वाली बात दब कर रह गयी।
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पहले खुद लड़ा था चुनाव, बाद में पत्नी को बनाया था प्रत्याशी
जीवन में मुन्ना बजरंगी ने दो ही बड़े सपने देखे थे पहला उसे माफिया डॉन बनना था तो दूसरा चुनाव जीत कर राजनीति में आना था। मुन्ना बजरंगी ने माफिया डॉन बन कर पहला सपना तो पूरा कर लिया था लेकिन राजनीति में आने का सपना पूरा नहीं हो पाया। मुन्ना बजरंगी ने वर्ष 2012 में मडियाहूं से विधानसभा चुनाव लड़ा था इसके बाद वर्ष 2017 में उसकी पत्नी सीमा सिंह चुनावी मैदान में उतरी थी। मुन्ना बजरंगी जेल में रहते हुए ही चुनाव लड़ा था लेकिन दूसरी बार वह चुनावी मैदान में नहीं उतरा। जिसको लेकर चर्चा भी हुई थी कि आखिकर बजरंगी चुनाव क्यों नहीं लड़ा रहा है। इसकी मुख्य वजह 2016 में कोर्ट द्वारा सजा देना माना जा रहा है। नियमानुसार दो साल की सपा पाये दोषी के चुनाव लडऩे पर रोक होती है जबकि मुन्ना बजरंगी को चार साल की सजा होने की बात सामने आ रही है इसलिए वह दूसरी बार चुनाव नहीं लड़ा था।
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करणी सेना ने दिया है समर्थन
मुन्ना बजरंगी की मौत के बाद करणी सेना ने अपना समर्थन दिया है। करणी सेना ने सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार से जेल में हुई हत्या के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने की मांग की है। साथ ही कहा था कि मुन्ना बजरंगी आरोपी था उसे सजा नहीं मिली थी लेकिन सच्चार्ई कुछ और ही है।
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