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पुलिस ने मुन्ना बजरंगी का एनकाउंटर किया था। उस समय मुन्ना बजरंगी को एक दर्जन से अधिक गोली लगी थी। इस एनकांउटर में मुन्ना बजरंगी के साथ उसका साथी यतीन्द्र को भी गोली लगी थी। यतीन्द्र की तो मौके पर ही मौत हो गयी थी लेकिन सुपारी किंग ने मौत को मात दे दी थी। इस एनकाउंटर में पुलिस ने अवैध असलहे भी बरामद किये थे। बाद में मुन्ना बजरंगी ठीक होकर जरायम की दुनिया में फिर सक्रिय हो गया था यह मामला कोर्ट में चल रहा था और कोर्ट ने इसी अवैध असलहे की बरामदगी एंव अन्य धारा में मुन्ना बजरंगी को चार साल की सजा सुनायी थी। सजा सुनाने के वर्षों पहले से मुन्ना बजरंगी खुद जेल में था इसलिए सजा वाली बात दब कर रह गयी।
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जीवन में मुन्ना बजरंगी ने दो ही बड़े सपने देखे थे पहला उसे माफिया डॉन बनना था तो दूसरा चुनाव जीत कर राजनीति में आना था। मुन्ना बजरंगी ने माफिया डॉन बन कर पहला सपना तो पूरा कर लिया था लेकिन राजनीति में आने का सपना पूरा नहीं हो पाया। मुन्ना बजरंगी ने वर्ष 2012 में मडियाहूं से विधानसभा चुनाव लड़ा था इसके बाद वर्ष 2017 में उसकी पत्नी सीमा सिंह चुनावी मैदान में उतरी थी। मुन्ना बजरंगी जेल में रहते हुए ही चुनाव लड़ा था लेकिन दूसरी बार वह चुनावी मैदान में नहीं उतरा। जिसको लेकर चर्चा भी हुई थी कि आखिकर बजरंगी चुनाव क्यों नहीं लड़ा रहा है। इसकी मुख्य वजह 2016 में कोर्ट द्वारा सजा देना माना जा रहा है। नियमानुसार दो साल की सपा पाये दोषी के चुनाव लडऩे पर रोक होती है जबकि मुन्ना बजरंगी को चार साल की सजा होने की बात सामने आ रही है इसलिए वह दूसरी बार चुनाव नहीं लड़ा था।
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मुन्ना बजरंगी की मौत के बाद करणी सेना ने अपना समर्थन दिया है। करणी सेना ने सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार से जेल में हुई हत्या के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने की मांग की है। साथ ही कहा था कि मुन्ना बजरंगी आरोपी था उसे सजा नहीं मिली थी लेकिन सच्चार्ई कुछ और ही है।
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