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पूर्वांचल के चार बाहुबली की राजनीतिक जमीन खिसकती जा रही है। कुछ ने तो चुनाव लड़ा था जबकि कुछ को चुनाव लडऩे के लिए बड़ी पार्टी से टिकट तक नहीं मिल पाया था। जौनपुर संसदीय सीट से सांसद रहे धनंजय सिंह भी इन दिनों राजनीतिक हाशिये पर आ चुके हैं। यूपी विधानसभा 2017 में धनंजय सिंह को किसी बड़ी पार्टी से टिकट नहीं मिला था तो निर्दल ही चुनावी मैदान में उतरे थे लेकिन जीत नहीं मिल पायी थी। लोकसभा चुनाव 2019 में राहुल गांधी व प्रियंका गांधी की कांग्रेस से लेकर बीजेपी, सपा व बसपा में टिकट लेने के लिए सारी ताकत लगायी थी लेकिन टिकट नहीं मिला था जिसके चलते बाहुबली धनंजय सिंह चुनाव मैदान से हट गये थे। इसी तरह बाहुबली अतीक अहमद की भी कहानी है। कभी मुलायम व शिवपाल यादव के खास माने जाने वाले अतीक अहमद फूलपुर सीट से सांसद रह चुके हैं लेकिन इस बार किसी दल से टिकट नहीं मिला था। इसके बाद अतीक अहमद ने पीएम नरेन्द्र मोदी के खिलाफ बनारस सीट से चुनाव लडऩे का ऐलान किया था और नामांकन तक भर दिया था लेकिन जेल से पैरोल नहीं मिलने के कारण अतीक ने चुनाव लडऩे से इंकार कर दिया था और वर्तमान में वह किसी भी राजनीतिक दल से नहीं जुड़े हैं। सपा से कभी हरैया के विधायक रहे बाहुबली राजकिशोर सिंह के लिए भी बड़ा राजनीतिक संकट खड़ा हो गया है। अखिलेश यादव से मनमुटाव होने के बाद राजकिशोर सिंह ने कांग्रेस के टिकट से बस्ती लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद से राजकिशोर सिंह भी राजनीति में साइउ लाइन हो चुके हैं।
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