पीएम
नरेन्द्र मोदी की लहर में बीजेपी ने यूपी चुनाव 2017 में प्रचंड बहुमत पाया हुआ है। इस लहर में बड़े-बड़े नेता चुनाव हार गये थे, लेकिन मऊ सदर से मुख्तार अंसारी ने चुनाव जीत कर एक बार फिर अपना राजनीकि रसूख साबित किया है। जरायम की दुनिया में मुख्तार अंसारी का नाम हमेशा चर्चा में रहता था पहली बार बसप के बैनर तले 1996 में मुख्तार अंसारी ने चुनाव लड़ा था और पहले चुनाव में ही जीत हासिल की थी। इसके बाद मुख्तार अंसारी का राजनीति में भी दबदबा कायम होने लगा। बाद में बसपा से बाहुबली मुख्तार अंसारी का नाता टूट गया था इसके बाद भी मुख्तार अंसारी की राजनीतिक जमीन खिसकी नहीं। वर्ष 2002 व २2007में निर्दल चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे थे। वर्ष 2012 में मुख्तार अंसारी ने वाराणसी संसदीय सीट से डा.मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ चुनाव लड़ा था लेकिन कुछ हजार मतों से चुनाव हार गये। मुख्तार अंसारी ने अपनी पार्टी कौमी एकता दल का गठन किया था बाद में कौमी एकता दल व वर्तमान समय कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा ने मिल कर चुनाव लड़ा था। लगातार पांच बार से विधायक चुन कर आ रहे बाहुबली मुख्तार अंसारी ने शिवपाल यादव के कहने पर सपा ज्वाइन की थी, लेकिन तत्कालीन सीएम
अखिलेश यादव के विरोध के चलते सपा छोडऩी पड़ी थी और फिर बसपा सुप्रीमो
मायावती के कहने पर उनकी पार्टी का दामन थाम लिया।
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