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चंदौली के बलुआ थानाक्षेत्र में लगभग ३५ साल पहले हुए सिकरौरा नरसंहार में बृजेश सिंह को आरोपी बनाया गया है। इस नरसंहार में एक ही परिवार के सात लोगों की गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी। उस समय इस मामले में सियासी तुफान ला दिया था। बृजेश सिंह लंबे समय तक फरार था इसलिए मामले की सुनवाई में बाहुबली एमएलसी की पत्रावली अलग कर दी गयी थी। बृजेश सिंह ने जब समर्पण किया है तभी से इस मामले की सुनवाई शुरू हुई है। सिकरौरा नरसंहार ऐसा मामला है जो बृजेश सिंह की गले की हड्डी बन सकता है। बृजेश सिंह को पहले ही इस मामले में झटका लग चुका है।
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बृजेश सिंह को लेकर जब नरसंहार की सुनवाई शुरू हुई थी तब बृजेश सिंह ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर कहा था कि घटना के समय वह नाबालिग थे। काफी दिनों तक चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने माना था कि सिकरौरा नरसंहार के समय बृजेश सिंह बालिग थे। इसके बाद कोर्ट की सुनवाई तेज हो गयी है। वादिनी ने गवाही देने आते समय खुद को सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराने की मांग की थी। पिछली कुछ सुनवाई में वादिनी कोर्ट में नहीं आयी थी लेकिन आठ नवम्बर को वह कोर्ट में पहुंची।
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