IIT BHU की इस तकनीक से भारत में आएगी क्रांति, चीन को लगेगा बड़ा झटका
आईआईटी बीएचयू और एएनटीएस सिरामिक प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई के बीच करारजल्द आएगा बाजार में, चीन से सस्ता होगा माल इलेक्ट्रॉनिक सर्किट उपकरणों के लिए धातु-सिरामिक जोड़ बहुत महत्वपूर्णइस्पात उद्योग होगा लाभान्वितबड़े-बड़े निर्माण कार्यों में होगा इस्तेमाललोहे को लोहे से जोड़ना होगा आसान और सस्ता
डॉ अजय कृष्ण चतुर्वेदीवाराणसी. अखिल भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिंदू विश्वविद्यालय) ने एक ऐसी तकनीक का इजाद किया है जिससे जहां भारतीय इस्पात उद्योग में बड़ी क्रांति आ सकेगी, वहीं चीन को बड़ा झटका लगेगा। आईआईटी बीएचयू की इस तकनीक को एएनटीएस सिरामिक प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई (एएनटीएस) को हस्तांतरित भी कर दिया है।
इस तकनीक को आईआईटी बीएचयू के पदार्थ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी स्कूल तथा सिरामिक विभाग द्वारा विकसित किया गया है। इलेक्ट्रॉनिक विभाग के प्रो शांतनु दास और प्रो प्रलय मैती ने पत्रिका से खास बातचीत में यह जानकारी दी। प्रो दास ने बताया कि करीब एक साल पहले इस तकनीक पर काम शुरू किया गया था और इसी साल अप्रैल के अंत में हम सभी ने तकनीक पर काम पूरा कर इसे एएनटीएस को तकनीक हस्तांतरित भी कर दी थी। एएनटीएस ने अपने यहां तकनीक पर काम शुरू कर प्रोडक्ट बनाना भी शुरू कर दिया है। बीच में कुछ दिक्कत आई थी जिसे हम लोगों ने दूर कर दिया। उन्होंने बताया कि नया उत्पाद महीने भर में बाजार में उपलब्ध हो जाएगा।
उन्होंने बताया कि यह एक ऐसी तकनीक है जिससे सिरेमिक और लौह पदार्थ या लोहा को लोहा से आसानी से जोड़ जाएगा। बताया कि अब तक इस तरह का जो भी केमिलकल भारतीय बाजार में उपलब्ध था वह चीन से बन कर आता था जिससे उसकी लागत ज्यादा होती थी। अब यह पूरी तरह से देशी तकनीक पर आधारित होगा जो चीन से आने वाले केमिकल से सस्ता भी होगा। बताया कि तकनीक हस्तांतरण के बाद बाजार में आने वाला उत्पाद एएनटीएस/ इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी बीएचयू के नाम से उतारा जाएगा।
बताया कि घरेलू उपयोग और इलेक्ट्रॉनिक सर्किट, उपकरणों के लिए धातु-सिरामिक जोड़ बहुत महत्वपूर्ण हैं। इस प्रकार के ज्वाइंट अनुप्रयोगों के लिए सपाट सतह फिनिश और उच्च जोड़ मजबूती की आवश्यकता है। मौजूदा जोड़ने वाले पदार्थ महंगे हैं और उच्च तापमान पर परिष्कृत होते हैं। वर्तमान में विकसित किए जा रहे ये जोड़ने वाले पदार्थ पर्यावरण के अनुकूल, आसानी से संसाधित, यांत्रिक रूप से मजबूत, थर्मल रूप से स्थिर और कम लागत वाले हैं।
उन्होंने बताया कि वनस्पति तेल आधारित क्रॉसलिंक्ड पॉलीमर का उपयोग उच्च गति बॉल-मिलिंग ¼ball & milling½ जैसे अनुप्रयोग में किया जाता है। हालांकि, विकसित चिपकने वाला पदार्थ धातु और सिरेमिक भागों के बीच एक बेहतर संबंध प्रदान करता है जिसका उपयोग उच्च गति बॉल-मिलिंग के लिए किया जा सकता है।
इस तकनीक पर काम करने वाले आईआईटी (बीएचयू) के पदार्थ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी स्कूल के प्रो प्रलय मैती ने बताया कि इस पेटेंट तकनीकी का अधिग्रहण मेसर्स ANTS सिरामिक प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई जो कि भारत का प्रमुख सिरामिक उत्पादों का निर्माता है द्वारा किया गया है। वह इसके वाणिज्यिक उत्पादन के लिए भी सहमत हुआ है। यह समझौता संस्थान के निदेशक प्रो प्रमोद कुमार जैन, प्रो राजीव प्रकाश, अधिष्ठाता (आर एंड डी), प्रो. प्रलय मैती व डॉ. शांतनु दास तथा डॉ. सब्यसाची रॉय, निदेशक ANTS सिरामिक की उपस्थिति में आईआईटी(बीएचयू) में सम्पन्न हुआ।
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