script356 साल में पहली बार महंत आवास की जगह गेस्ट हाउस में होगा काशी विश्वनाथ का तिलकोत्सव | Kashi Vishwanath tilak tradition change 356 year on Vasant Panchami | Patrika News
वाराणसी

356 साल में पहली बार महंत आवास की जगह गेस्ट हाउस में होगा काशी विश्वनाथ का तिलकोत्सव

गंगा मिट्टी के सिंहासन में होगा तिलक, आवास के क्षतिग्रस्त एक हिस्से से नहीं निकाली जा सकती बाबा का रजत सिंहासन व अन्य चीजे

वाराणसीJan 29, 2020 / 05:55 pm

Devesh Singh

Kashi Vishwanath

Kashi Vishwanath

वाराणसी. काशी विश्वनाथ मंदिर में 356 साल की परम्परा वसंत पंचमी के दिन टूट जायेगी। पहली बार महंत आवास की जगह गेस्ट हाउस में काशी विश्वनाथ का तिलकोत्सव होगा। काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के चलते परम्परा बदलनी पड़ रही है। महंत आवास का एक हिस्सा गिर चुका है, जिसके मलबे में बाबा का रजत सिंहासन, प्राचीन पालकी, रजद झूला, रजत छत्र दबा हुआ है जिसे अभी तक निकाला नहीं जा सका है।
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तिलक की रस्म हमेशा ही दूल्हे के आवास पर निभायी जाती है। काशी विश्वनाथ के तिलकोत्सव की परम्परा पिछले 356 साल से महंत आवास पर ही निभायी जाती थी। वसंत पंचमी के दिन बाबा का तिलक होता था लेकिन इस बार कहानी बदल चुकी है। तिलकोत्सव के लिए बाबा को इस बार टेढ़ीनीम स्थित गेस्ट हाउस में जाना होगा। पहली बार रजत सिंहासन की जगह बाबा को पंचबदन प्रतिमा लकड़ की चौकी पर गंगा मिट्टी और कुश से बने सिंहासन पर विराजमान की जायेगी। वसंत पंचमी की सुबह मुहुर्त के अनुसार षोडशोपचार पूजन के बाद बाबा का रुद्राभिषेक किया जायेगा। दोपहर पूजन के बाद बाबा को नवीन परिधान धारण कराये जायेंगे। शाम को छह बजे बाबा की प्रतिमा की तिलकोत्सव होगा और सात बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा।
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महाशिवरात्रि के दिन हुआ था भगवान शिव का विवाह
भगवान शिव का विवाह महाशिवरात्रि के दिन हुआ था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वसंत पंचमी के दिन राजा दक्ष ने बाबा को तिलक चढ़ाया था। रंगभरी एकादशी के दिन गौरा का गौना हुआ था। इसी अनुसारी काशी विश्वनाथ मंदिर में पिछले 356 साल से वसंत पंचमी के दिन महंत आवास पर बाबा को तिलक चढ़ाया जाता था लेकिन इस बार परम्परा टूट जायेगी। सबसे बड़ी समस्या गौरा के गौना को लेकर होने वाली है। महंत आवास ध्वस्त हो चुका है इसलिए रंगभरी एकादशी के दिन गौना के लिए जगह की तलाश करनी होगी। इसी दिन अबीर-गुलाल के बीच शिवर परिवार की शोभायात्रा निकाली जाती है जो काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह तक जाती है।
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