देवरिया की रहने वाली पूजा शर्मा का कहना है कि शुरू से ही वह कुछ ऐसा करना चाहती थी जिससे परिवार का मान बढ़ सके। सबसे पहले माता व पिता ने उनका साथ दिया। पढ़ाई के दौरान पिता जी से लोग कहते थे कि यह बेटी है और इस तरह से क्यों पढ़ा रहे हैं। पिता जी ने इन बातों पर कभी ध्यान नहीं दिया और मुझे पूरा सहयोग किया। पूजा ने कहा कि एमपीएड चतुर्थ सेमेस्टर में प्रवेश लेने के बाद ही मेरी शादी हो गयी थी। जब ससुराल पहुंची तो वहां के लोगों को पता चला कि मैं पढऩा चाहती हूं। ससुराल वाले ने मेरा हौसला बढ़ाया और कहा कि तुम आगे पढ़ो। हम सभी तुम्हारे साथ है। शादी के चार दिन बाद ही मैं बनारस आ गयी और तैयारी करने लगी। पूजा का कहना है कि मैं कभी क्लास नहीं छोड़ती थी और उसके बाद पांच से छह घंटे प्रतिदिन पढ़ाई करती थी। मेरी मेहनत तब सफल हुई। जब मुझे पता चला कि मुझे डबल गोल्ड मेडल मिलने वाला है। उन्होंने कहा कि सफलता पाने के लिए जुनून व पढ़ाई के प्रति समर्पण बहुत जरूरी है। पहले अपने लक्ष्य का निर्धारण करना चाहिए। फिर उसे पाने के लिए मन लगा कर पढ़ाई करनी चाहिए। रास्ते में रुकावट आती है तो भी हिम्मत हारने की जरूरत नहीं है। अपने पर विश्वास बनाये रखते हुए तैयारी करे। पूजा ने कहा कि एक लक्ष्य तो मिल गया है अब शारीरिक शिक्षा विभाग में रिसर्च कर प्रोफेसर बनना चाहती हूं। मुझे विश्वास है कि मेरी मेहनत से यह भी सपना पूरा होगा।
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