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वाराणसी

देश का अनोखा पुलिस स्टेशन, थाना प्रभारी की कुर्सी पर खुद विराजमान रहते हैं बाबा काल भैरव

डीएम व एसएसपी ने किया निरीक्षण तो हो जाता है तबादला, १९ नवम्बर को है काल भैरव अष्टमी

वाराणसीNov 19, 2019 / 11:51 am

Devesh Singh

Baba Kal Bhairav

Baba Kal Bhairav

वाराणसी. भगवान शिव के अवतार काल भैरव की कहानी बेहद रहस्मय है। धार्मिक मान्यता के अनुसार काल भैरव अपने भक्तों को शत्रुओं और संकट से मुक्ति दिलाते हैं। भक्तों के पाप का नाश करने के साथ उनकी सफलता का मार्ग भी प्रशस्त करते हैं। शिव की नगरी काशी में बाबा काल भैरव का विश्व प्रसिद्ध मंदिर है जहां पर दर्शन मात्र से ही भक्तों के जन्मों का पाप खत्म हो जाता है।19 नवम्बर को भैरवाष्टमी मनायी जायेगी। ऐसे में बाबा से जुड़ी कुछ दिलचस्प कहानी भी है, जो बेहद दिलचस्प है।
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Baba Kal Bhairav
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शिव की नगरी काशी में बाबा कालभैरव का मंदिर है। काल भैरव को काशी का कोतवाल भी कहा जाता है। मंदिर के थोड़ी ही दूर पर कोतवाली पुलिस थाना है। मान्यता है कि यहां पर खुद काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव विराजमान रहते हैं। थाना प्रभारी की कुर्सी पर बाबा की फोटो रहती है और उसके पास ही कुर्सी लगा कर थाना प्रभारी बैठते हैं। प्रतिदिन बाबा की पूजा की जाती है और उन्हें फूल-माला चढ़ाया जाता है। धार्मिक मान्यता की माने तो डीएम व एसएसपी भी इस थाने का निरीक्षण नहीं करते हैं। थाने पर किसी काम से बड़े अधिकारी जाते हैं लेकिन वहा का निरीक्षण नहीं करते हैं। जिस अधिकारी ने भी कोतवाली थाने का निरीक्षण किया। उसका अपने आप तबादला हो जाता है। काशी के कोतवाल के नाम से ही इस थाने का नाम कोतवाली जुड़ा हुआ है। बनारस में जिला प्रशासन व पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ज्वाइन करने से पहले काशी विश्वनाथ व बाबा काल भैरव का जरूर दर्शन करते हैं यदि ऐसा नहीं किया तो शहर में उनका रुकना संभव नहीं होता है।
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Kotwali Police Station
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ऐसे हुआ था बाबा काल भैरव का जन्म
धार्मिक मान्यताओं की माने तो ब्रह्मा जी के पहले चार मुख थे। एक बार ब्रह्मा जी ने चौथे मुख से भगवान शिव के बारे में ऐसे बाते कही थी जिससे वह नाराज हो गये थे। उसी समय शिव ने कालभैरव का उत्पन्न किया था। काल भैरव ने अपने नाखुन ने ब्रह्मा जी का चौथ मुख काटा था। इसके बाद बाबा काल भैरव पर ब्रह्म हत्या का पाप लग गया था। ब्रह्मा जी का चौथा मुख बाबा के हाथ से चिपक गया था। धरती, आकाश व पाताल जहां भी काल भैरव जाते थे उनकी ज्वाला से सब कुछ जल कर राख हो जाता था। भगवान शिव के पास काल भैरव गये और कहा कि उन्हें ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति दिलाये। इस पर शिव ने कहा कि वह उनकी नगरी काशी में जाये। बाबा भैरव नाथ काशी में पहुंचे और अपने हाथ से तालाब बनाया और उसमे स्नान किया। स्नान करते ही ब्रह्म जी का मुख उनके हाथ से गायब हो गये। इसके बाद बाबा काल भैरव सीधे मैदागिन के पास स्थित एक जगह पर गये। यहां पर उनके विराजमान होने की जगह नहीं थी इसलिए बाबा ने यहा पर एक पैर का अंगूठा रखा है और दूसरा पैर श्वान (डॉग) पर रखा है। काशी में विराजते ही बाबा से निकलने वाली ज्वाला खत्म हो गयी। बाबा चन्द्रमा के तरह शीतल हो गये। इसके बाद इस जगह का नाम काल भैरव पड़ा। आज भी बाबा काल भैरव अपने भक्तों की सारी पीड़ा को दूर करते हैं। कहा जाता है कि बाबा काल भैरव को सच्चे मन से याद करने वाला सभी कष्टों से बचा रहता है।
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