अपर जिला जज आशुतोष मिश्र ने बताया कि लिंगदोह कमेटी की संस्तुति लागू होने से पहले जो छात्रसंघ चुनाव होते थे उसको आधार बनाते हुए पुस्तक लिखी है। लिंगदोह समिति के पहले छात्रसंघ चुनाव का स्वरुप दूसरा होता था जो अब इतिहास हो चुका है। उस समय केवल चुनाव लडऩे के लिए विश्वविद्यालयों में छात्रनेता 15 से 20 साल तक परिसर में पढ़े रहते थे। बहुत लोगों को याद होगा कि 50 साल की आयु के छात्रनेता होते थे, जिनकी अगली पीढ़ी भी विश्वविद्यालय में आ गयी थी। उन्होंने बताया कि यह सब इतिहास की बाते हो चुकी थी इसलिए इन्हें पन्ने में समेटा है ताकि लोगों की स्मृति में यह चीजे रह सके। अपर जिला जज आशुतोष मिश्र ने कहा कि पुस्तक के माध्यम से कटाक्ष भी किया गया है जो छात्र राजनीति के नाम पर अपना समय बर्बाद कर रहे हैं। ऐसे युवाओं को मार्ग दर्शन देने के लिए भी यह पुस्तक लिखी गयी है।
न्यायधीश होते भी हुए साहित्य के साथ किया पूरा न्याय
लोकार्पण समारोह में काशी विद्यापीठ के वीसी प्रो.टीएन सिंह ने कहा कि आशुतोष मिश्रा न्यायधीश होते हुए भी साहित्य के साथ पूरा न्याय किया है। विशिष्ट अतिथि बीएचयू के वरिष्ठ वैज्ञानिक व प्रॉक्टर डा.संतोष सिंह ने कहा कि आज के भौतिकवादी एंव आर्थिक युग में लोगों के पास खुद का समय नहीं होता है ऐसे में समाज को कलम के माध्यम से कुछ देना काबिलेतारीफ है। अध्यक्षता करते हुए काशी विद्यापीठ के चीफ प्रॉक्टर प्रो.चतुर्भुज नाथ तिवारी ने कहा कि यह रचना अहसास करती है कि लेखक ने काशी के जीवन के पूरी तरह से जीया है। संचालन डा.अनुराधा व धन्यवाद ज्ञापन डा.विनोद कुमार सिंह ने किया। इस अवसर पर सोनभद्र के अपर जिला जज जेपी तिवारी, लखनऊ के सीबीआई जज गौरव शर्मा, बिहार बेतिया के न्यायिक मजिस्ट्रेट अमित शुक्ला, वैद्य डा.श्याम सुन्दर पांडेय आदि लोग उपस्थित थे।