हरियाणा के रेवाड़ी निवासी बीएसएफ के जवान रहे तेज बहादुर यादव जनवरी 2017 में देश भर की मीडिया की सुर्खियों में आ गये थे। सीमा पर तैनाती के दौरान बीएसएफ जवान ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल किया था जिसमे अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए जवानों को घटिया खाने देने की बात कही थी। तेज बहादुर यादव ने पीएम नरेन्द्र मोदी ने न्याय दिलाने की मांग की थी। इसके बाद मामले की जांच हुई और तेज बहादुर के आरोपों को निराधार बताया गया। इसके बाद अनुशासनहीनता का दोषी बताते हुए बीएसएफ से बर्खास्त कर दिया गया। लंबे समय से साइड लाइन रहे तेज बहादुर यादव अब फिर चर्चा में आ गये हैं क्योंकि वह पीएम नरेन्द्र मोदी के खिलाफ चुनाव लडऩे जा रहे हैं। उन्होंने बयान भी दिया है कि देश का असली चौकीदार भ्रष्टाचार के खिलाफ सभी को जागरूक करने के लिए पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ेगा।
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पैसों की लालच लोग अपनों को कागज पर मृत साबित करके उनकी सम्पत्ति हड़प लेते हैं। सरकारी व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार के चलते इन लोगों को आराम से कागजात में मृतक दिखा दिया जाता है इसके बाद ऐसे लोगों को जिंदा साबित करने की वर्षों तक जंग लडऩी पड़ती है। जिन लोगों के साथ ऐसा होता है वह इस भ्रष्टाचार का दर्द समझ सकते हैं। ऐसे लोगों को न्याय दिलाने के लिए आजमगढ़ में मृतक संघ बनाया गया है जो इन लोगों की लड़ाई लड़ता है और वीवीआईपी सीट से अपने प्रत्याशी उतार कर लोगों को बताता है कि देश में ऐसा भी भ्रष्टाचार होता है। मृतक संघ ने इस बार वाराणसी से आजमगढ़ जिले के सगरी ब्लाक के गोराईपटटी गांव निवासी राम अवतार यादव को बनारस से प्रत्याशी बनाने का ऐलान किया है। राम अवतार यादव की एक बीघा जमीन के लिए परिजनों ने उन्हें कागज पर मृत दिखा दिया था इसके बाद आठ साल तक खुद को जिंदा करने की जंग लड़ते थे। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव लडऩे से लेकर अपरहण की घटना को भी अंजाम दिया था। आठ साल बाद भले ही राम अवतार यादव कागज पर जीवित हो गये थे लेकिन आज भी उन्हें उनका हक नहीं मिला है। मृतक संघ के संस्थापक लाल बिहारी यादव को भी रिश्तेदारों ने मृत घोषित कर दिया था। खुद को जीवित साबित करने की लड़ाई लड़ते हुए अब मृतक संघ के बैनर तले दूसरों को भी न्याय दिलाने में जुटे हैं। बनारस से चुनाव लड़ कर लोगों को बतायेंगे कि व्यवस्था की खामी से जीवित इंसान किस तरह से कागज पर मृत घोषित हो जाता है।
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किसानों को दयनीय स्थिति से उबारने के लिए तमिलनाडु के 110 किसानों ने पीएम नरेन्द्र मोदी के खिलाफ चुनाव लडऩे का ऐलान किया है। राष्ट्रीय दक्षिण भारतीय नदियां जोड़ा किसान संगठन के अध्यक्ष अय्याकन्नू ने कहा कि हम लोग बीजेपी पर दबाव डालना चाहते हैं कि वह अपने घोषणा पत्र में किसानो को उनकी उपज का पूरा मुनाफा दिलाने की बात करे। इसके अतिरिक्त किसानों की जितनी समस्या है उन सभी का समाधान किया जाये। यदि बीजेपी ने ऐसा कर दिया तो हम प्रत्याशी नहीं उतारेंगे। फिलहाल की बात की जाये तो बीजेपी ने अपनी संकल्प पत्र में किसानों को बहुत कुछ देने की बात कही है लेकिन अभी तक इस पर संशय बना हुआ है कि पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लडऩे का ऐलान करने वाले संगठन संतुष्ट हुए है कि नहीं। यदि किसान असंतुष्ट होंगे तो वह बनारस आकर पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लडेंग़े। ऐसे में बनारस की सीट की लड़ाई इस बार बेहद दिलचस्प हो गयी है।
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